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तेवर की चर्चा: बेगूसराय का यह शख्स बागी अक्षरों की काठी से जला रहा है देशद्रोहियों की लंका

  • सुप्रीम कोर्ट को “सुप्रीम कोठा” की उपाधि से नवाजने के बाद चर्चा में आया था मंझौल का अजीत भारती

  • खल पत्रकारिता की अंतड़ियां बिखेरकर बन गए हैं सोशल मीडिया सनसनी

  • इकोसिस्टम के भीतर की सच्चाई को सटीकता से परोसने का महारत है हासिल

तेवर की चर्चा
समाचार विचार/पटना/बेगूसराय: अजीत भारती का नया वीडियो सुनकर उनके बारे में पोस्ट लिखनी ही पड़ी। सोशल मीडिया के युग में, बिना किसी सपोर्ट के, अपनी प्रतिभा के बल पर यह व्यक्ति आज करोड़ों हिन्दी भाषी हिन्दुओं की आवाज बन चुका है। अभी इनके कैरियर का आरम्भ चल रहा है। शीघ्र ही इसका चरम आएगा तब देखना, यह व्यक्ति पत्रकारिता के अनेक नए कीर्तिमान गढ़ेगा। कुमार एस और कुमार रचित के फेसबुक वॉल पर उद्धृत की गई यह पोस्ट आज चर्चा में है। कुमार एस बेगूसराय जिले के मंझौल के मूल निवासी डिजिटल क्रिएटर अजीत भारती के विषय में लिखते हैं कि 10₹ से 200₹ की छोटी यादृच्छिक दक्षिणा पर अपना यूट्यूब चैनल चला रहे इस नरसिंह वृत्ति के पत्रकार ने, संसार के सबसे दुर्भेद्य, सबसे घाघ, सबसे पॉवरफुल इकोसिस्टम जनित खल पत्रकारिता की छाती भेदकर जिस तरह से उनकी अन्तड़ियां बिखेरी है, निश्चित रूप से यह किसी दैवीय प्रतिभा से कम नहीं है। आरम्भ में, अन्य लक्कड़बग्घा की तरह मैं भी इनको गम्भीरता से नहीं लेता था। कुमार एस कहते हैं कि मैं इनकी मित्रता सूची में भी नहीं हूँ, मेरे लिए इनका कमेंट सेक्शन भी आज की तारीख तक नहीं खुला है, हम कभी मिले भी नहीं लेकिन अल्प साधनों के बल पर, बिल्कुल मेरी ही तरह, शून्य से यात्रा कर इस स्तर तक पहुंचने के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हुए लगता है, मैं ही वह हूँ।
इकोसिस्टम के भीतर की सच्चाई को सटीकता से परोसने का महारत है हासिल
कभी भारत की हिन्दी पत्रकारिता में यही स्थान रवीश कुमार को प्राप्त था। दुर्भाग्य से उसकी यह छवि धूर्त इकोसिस्टम द्वारा सर्वथा कृत्रिम तरीके से गढ़ी गई थी। यह संयोग ही है कि आदरणीय अजीत भारती भी उस धूर्तता का पीछा करते करते यहाँ तक पहुंचे हैं। रवीश कुमार के प्राइमटाइम पर रिसर्च करके ही उन्हें पता चला कि डिजाइनर पत्रकार, जिसे वे स्वयं गोदी मीडिया और व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कहते हैं, इनकी पत्रकारिता सर्वथा अपने ही एजेंडे को अपनी ही परिभाषाओं से न्यायोचित ठहराने का शाब्दिक खेल मात्र है। “लवजिहाद में लड़की की हत्या खबर नहीं है, वहाँ बजरंग दल वाले पहुंच गए हैं, अब यह खबर बन गई है!” इस वीभत्स घृणित मीडिया का कोई ठोस तोड़ अब तक नहीं था हमारे पास। आज सौभाग्य से हमारे पास अजीत भारती है, इस व्यक्ति की इतनी योग्यता है कि आप खबर और उस पर किसका क्या रिएक्शन होगा, इन्हें बताओ, ये हूबहू एडवांस ही आपको बता देंगे कि इस पर रवीश क्या कहेगा, बरखा क्या लिखेगी और राजदीप क्या पूछेगा? और यह शतप्रतिशत सत्य होगा। इस इकोसिस्टम के भीतर की इतनी सच्चाई, इतना नियंत्रण और इतनी सटीकता, यह वैसा ही है जैसे कभी वृहस्पति पुत्र कच, शुक्राचार्य के पेट में घुसकर रहस्य लब्धि कर लाया था। यद्यपि उसके लिए उसे तीन बार मरना पड़ा था। यह हमारी विडम्बना ही है कि व्यक्ति हमारे आस पास होता है, सहज उपलब्ध होता है और हम पहचान नहीं पाते। आज उनके जितने व्यूअर्स होने चाहिए वह नहीं है। सम्भवतः हम भारतीयों को अश्वत्थामा की तरह दूध के नाम पर आटे का घोल पिलाया गया है कि हम असली दूध को ही अब नकली समझने लगे हैं। तेवर की चर्चा: बेगूसराय का यह शख्स बागी अक्षरों की काठी से जला रहा है देशद्रोहियों की लंका
सुप्रीम कोर्ट को “सुप्रीम कोठा” की उपाधि से नवाजने के बाद चर्चा में आया था मंझौल का अजीत भारती
पत्रकारिता में प्लांटेड राजदीप, बरखा,रवीश अथवा फ़िल्म जगत में हीरो के नाम पर प्लांटेड शाहरुख, सलमान, आमिर, अथवा राजनीति में प्लांटेड सोनिया, राहुल, प्रियंका…. हम इतना आटा पी चुके हैं कि वास्तविक दूध पच नहीं रहा। हममें से अधिकांश की स्थिति ऐसी हो गई है और हमें इससे बाहर आना होगा।
किसी भी पत्रकार से ज्यादा है उनकी पत्रकारिता। सिद्धांत हो या व्यवहार, शोध हो या विश्लेषण, संतुलन हो या समन्वय, हिन्दी हो या अंग्रेजी, अजीत भारती अद्भुत है। आप उनका विश्लेषण सुनिए, उनकी सहज बातचीत, 6टके के युट्यूबर, राजनीतिक रोस्ट, उनका वीडियो किसी सुरुचिपूर्ण वेब्सिरीज के एपिसोड से कम रोचक नहीं होता। और उसमें आपको मिलता है साफ सुथरा धारदार व्यंग्य, बड़े बड़े फन्ने खां का फटा जांघिया, नकली प्रतिष्ठा की उघड़ती पिंडली, बेजोड़ साहित्यिक उक्तियाँ और राष्ट्रद्रोही तत्त्वों पर उन्हीं की शैली में गिरती गाज, जिसकी कराहना आप यहाँ तक अनुभव कर सकते हैं। याद कीजिए, न्यायपालिका की समीक्षा की उनकी ट्रिक, वे सम्भवतः पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने इस विषय पर इतना कड़वा और नग्न सत्य कहा, जिस पर बोलते हुए अच्छे भले लोगों की घिग्घी बंध जाती है। जिन वर्जित अभिजात्य गलियों में झांकना भी वर्जित था, अजीत भारती उनमें घुसा, उन्हें नंगा कर पीटते हुए गली से बाहर खदेड़ कर आया कि देखिए, यह कोई वीआईपी नहीं है, इसके भी उतने ही अवयव हैं जितने हमारे। मै अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ, अजीत भारती, नई पत्रकारिता का नाम है। यह क्या कर रहे हैं, इसका मूल्यांकन इतिहास करेगा। बहुत साधारण से दिखने वाले, लोअर मिडिल क्लास के इस लड़के के उदय होने के बाद एनडीटीवी बिक गया, रवीश की नौकरी छूट गई, ध्रुव राठी की पोल खुल गई, न्यायपालिका के कृत्य पर संसद में बहस हुई, अनेक लोगों का परम पूज्यत्व उघड़ गया और एक ही शैली से उकताए युट्यूबर्स को एक नई विधा, नया दर्शन मिल गया। कुमार रचित उनके योगदान को कथमपि राष्ट्र निर्माण के योगदान से कम नहीं मानते हैं और भविष्य में उत्तरोत्तर प्रगति की शुभकामनाएं भी देते हैं।
ये हैं अजीत भारती के सनसनीखेज विडियोज के कुछ लिंक्स

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