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लाजिमी है चिंता: बेगूसराय में पुराना रहा है रिश्तों के कत्ल का इतिहास

  • मासूमों का गला रेतने से भी परहेज नहीं कर रहा है स्वार्थ से वशीभूत कलियुगी मानव

  • संवैधानिक डंडों से नहीं बल्कि नैतिक मूल्यों से ही बचेगा खंडित विखंडित होता जा रहा पारिवारिक और सामाजिक ढांचा

लाजिमी है चिंता
समाचार विचार/बेगूसराय: शनिवार की देर शाम साहेबपुरकमाल थाना क्षेत्र के विष्णुपुर आहोक पंचायत स्थित गोविंदपुर गांव में हुए तिहरे हत्याकांड ने भले ही जनमानस को झकझोर कर रख दिया हो लेकिन बेगूसराय में रिश्तों के कत्ल का पुराना इतिहास रहा है। पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर नैतिकता की दिनों दिन होते जा रहे बेलगाम क्षरण से समाज के बुद्धिजीवियों की बढ़ रही चिंता लाजिमी है। आज जहाँ एक तरफ देश की सीमाओं पर विध्वंसक अणु-परमाणु हथियारों की होड़ लगी है तो दूसरी तरफ समाज में एक दूसरे को पराजित कर क्षणिक सुख के लिए अस्त्र शस्त्रों और प्रभाव का प्रदर्शन दिख रहा है, वहीं परिवार में भी वैचारिक तर्क कुतर्क और भाव भंगिमा रूपी हथियार के क्षण प्रतिक्षण प्रहार से हर रिश्ता रोज छलनी हो रहा है और आत्मीय संबंधों की हत्या हो रही है। वीभत्स स्वरूप अख्तियार करते जा रहे समाज के समक्ष यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि संवैधानिक नियम और कानून अब प्रभावी क्यों नहीं रह गए हैं? इन बिंदुओं पर विमर्श करने से पहले आइए हम जानते हैं कि बेगूसराय में रिश्तों के कत्ल का इतिहास कितना पुराना रहा है।
मासूमों का गला रेतने से भी परहेज नहीं कर रहा है स्वार्थ से वशीभूत कलियुगी मानव
आपको याद होगा कि कुछ वर्ष पूर्व नगर थाना क्षेत्र के विष्णुपुर में नृशंस हत्यारों ने अमित कुमार, उनकी पत्नी प्रियंका कुमारी और उनके डेढ वर्षीय मासूम बेटे आर्यन की चाकू गोद कर तकिए से गला घोंट कर हत्या कर दी थी। तीनों जन्म दिन का उत्सव मनाने के बाद छत पर सो रहे थे। इसी दौरान इस लोहमर्षक वारदात को अंजाम दिया गया था। अगले दिन सुबह में खून से लथपथ तीनों का शव देख कर क्षेत्र मेंं सनसनी फैल गई थी और लोग मासूम आर्यन की गर्दन कटी लाश देखकर व्यथित हो रहे थे। पुलिसिया कार्यशैली का सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस मामले में पुलिस आज तक हत्यारों को सजा नहीं दिला सकी है।
बछवाड़ा के चमथा में भूमि विवाद में हुए ट्रिपल मर्डर से दहला था बेगूसराय
बेगूसराय में ट्रिपल मर्डर का पुराना इतिहास रहा है। बछवाड़ा थाना के चमथा में भूमि विवाद में हुई गोलीबारी में चमथा गोप टोल निवासी इन्दर राय के पुत्र नागेंद्र राय, जगदेव राय के पुत्र अमरजीत कुमार व जगदीश राय की पत्नी शीला देवी की हत्या हुई थी। इस घटना के बाद भी कुछ दिनों तक ढेरों चर्चाएं और विमर्श हुई थी। दोनों पक्षों ने अलग-अलग प्राथमिकी अंकित कराते हुए दर्जन भर से अधिक लोगों को नामजद किया था। पुलिस ने अधिकांश आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया लेकिन किसी को सजा नहीं हो सकी है। घटना की मूल वजह 1998 से डेढ बीघा खेत पर दखल- कब्जा का विवाद बताई गई थी।
दीवाली के दिन पति, पत्नी और बेटी की हत्या से फैली थी सनसनी 
28 अक्टूबर 2019 को दीपावली की रात सिंघौल ओपी क्षेत्र के मचहा गांव में कुणाल सिंह, उनकी पत्नी कंचन देवी व पुत्री सोनम कुमारी की गोली मार हत्या कर दी गई थी। हत्यारा कोई दूसरा नहीं बल्कि कुणाल सिंह का सगा भाई विकास ही था। इसके पूर्व भी वह भूमि विवाद में एक रिश्तेदार की हत्या कर फरार था। उक्त तिहरे हत्याकांड का कारण भी भूमि विवाद बताया गया था। विकास शातिर अपराधी था और पूर्व में फर्जी जमानत पर जेल से बाहर निकल गया था। इस संबंध में सीबीआई भी उसकी तलाश कर रही थी। बाद में पुलिस ने उसे झारखंड के देवघर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लाजिमी है चिंता: बेगूसराय में पुराना रहा है रिश्तों के कत्ल का इतिहास
शनिवार को पकड़ौआ विवाह के खुन्नस में पिता, पुत्र और पुत्री का हुआ ट्रिपल मर्डर
साहेबपुरकमाल थाना क्षेत्र के श्रीनगर छर्रापट्टी निवासी उमेश यादव, उनकी पुत्री लूसी कुमारी और पुत्र राजेश कुमार की हत्या पकड़ौआ विवाह के खुन्नस में कर दी गई। दरअसल उमेश यादव की बड़ी बेटी की शादी गोविंदपुर वार्ड 9 निवासी संजय यादव के बेटे ललन यादव के साथ से हुई थी। इस दौरान संजय यादव के परिवार के लोग अपने रिश्तेदार के यहां बराबर श्रीनगर छर्रापट्टी आते जाते थे और नीलू भी बराबर अपनी बहन लूसी के घर गोविंदपुर जाती थी। इसी दौरान लूसी के देवर हिमांशु से नजदीकी बढ़ गई। कुछ दिन पहले नीलू की शादी भी कथित रूप से हिमांशु यादव के साथ हुई थी, जिसे पकड़ौआ विवाह भी कह सकते हैं। लेकिन वर पक्ष के लोग लड़की को किसी भी कीमत पर अपने घर में रखना नहीं चाहते थे। उसी के परिवार में किसी अन्य की शादी होनी थी। इसकी जानकारी मिलने के बाद आज उमेश यादव अपने पुत्र राजेश कुमार एवं पुत्री नीलू के साथ गोविंदपुर पहुंच गए और घर में रखने का दबाव बनाने लगे। इसी बात को लेकर दोनों के बीच कहा सुनी हुई। इसी दौरान तीनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस हत्यारों की गिरफ्तारी में जुटी हुई है और दो व्यक्तियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।

लाजिमी है चिंता

मशीन मात्र बन कर रह गए मानव के व्यवहार के पतनोन्मुखी दौर का भयावह होगा अंजाम
बेगूसराय के सुभाष चौक स्थित पैनेशिया हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. वीरेंद्र कुमार न केवल एक कुशल चिकित्सक हैं बल्कि सामाजिक मुद्दों पर सदैव मुखरित भी रहते हैं। उन्होंने वर्तमान समय में मूल्यों के हो रहे क्षरण को रेखांकित करते हुए कहा कि आखिर यह क्यों नहीं समझ रहे हैं कि यह मानव जीवन प्रकृति प्रदत्त दैवीय उपहार और अनमोल है। आज मानव ने अपनी निकृष्ट क्रियाकलाप से अन्य भौतिक संसाधनों को मूल्यवान किन्तु मानव जीवन को ही मूल्यहीन बनाकर रख दिया है। वर्तमान माहौल में जीवन की चारों दिशाओं में असंतुलन,असंतुष्टि, प्रतिकूलता और प्रतिस्पर्धा का माहौल है। एक तरफ प्राकृतिक और अन्य संसाधन कम पड़ रहे हैं तो दूसरी तरफ मानव में संग्रह की प्रवृत्ति बलवती होती जा रही है। बाल्यावस्था से वृद्धावस्था तक के लोग प्रतिस्पर्धी माहौल से कदम कदम पर कठिनाइयों को झेलते हुए जूझ रहे हैं। नैसर्गिक जीवन खत्म सा हो गया है। प्रतियोगिता की अंधी होड़ के दबाव में मानव मशीन मात्र बनकर रह गया है। जिस संबंध की संजीवनी संवाद हुआ करती थी, उससे मानव जीवन सजता संवरता था, आज वह लुप्तप्राय और मृतप्राय हो गया है। आत्मीय सगे संबंधी भी अब जरूरत पर ही आपको याद करते हैं, आत्मीयता के भाव से याद करने की नैसर्गिक प्रवृति कहीं खो सी गई है। राष्ट्र की सीमाओं पर भी तनावपूर्ण स्थिति का माहौल बना हुआ रहता है तो हमारा घर परिवार, आस पड़ोस और समाज भी इस तरह की तनावपूर्ण बातों से अछूता कहां रह गया है? सरलता, सहजता और विनम्रता जिस जीवन का श्रृंगार हुआ करती थी, वह आज भीड़ में ढूंढने से भी नहीं मिल रही है। आज के दौर में मानसिक और वैचारिक स्तर पर भी अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिल रहा है। संसाधन सुख, औपचारिक आकर्षण, बनावटी व्यवहारिकता के मानव मष्तिष्क पर हावी होने की वजह से मानव मन अशांति की आगोश में स्वयं चला गया है। आचार, विचार और व्यवहार में पाश्चात्य संस्कृति के प्रवेश ने मतलबी मानसिकता, बनावटी व्यवहारिकता और औपचारिक आत्मीयता की स्थिति उत्पन्न कर दी है। इस वजह से मानव मन स्वाभाविक सुख, शाति, सरलता सहजता और संवेदनशीलता जैसे दैवीय गुणों से दूर होता चला गया है। वर्तमान माहौल में परिस्थिति प्रतिकूल हो गई है और प्रवृति भी बिलकुल ही प्रदूषित हो गई है और इन्हीं वजहों से मानव ने अपने अनमोल जीवन को नारकीय बना लिया है।
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