🌀सामयिक और उल्लेखनीय है युवा साहित्यकार डॉ. अभिषेक कुमार की यह रचना
🌀अभी भी नहीं चेतें तो अगली पीढ़ी भुगतेगी प्रकृति संग दुष्कर्म की सजा
समाचार विचार/बेगूसराय: पिछले एक-दो हफ्ते से बेगूसराय सहित पूरे देश में दहक रहा है शोला और देश भयानक गर्मी से भभक रहा है। उत्पीड़न करने वाली हीटवेव से मनुष्य, पशु पक्षी सब हल्कान और बेहाल हैं लेकिन गर्मी कम नहीं हो रही है। मई को ऐतिहासिक तौर पर देश का सबसे गर्म महीना माना जाता है लेकिन इस साल तापमान ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। जो संभावनाएं, आशंकाएं और उम्मीदें थी, सब टूट गईं हैं। पिछले 15 दिनों से भीषण गर्मी पड़ रही है। रिकॉर्ड्स टूट रहे हैं और मौसम का नया पैमाना सेट हो रहा है। इस स्थिति में यह कहना प्रासंगिक होगा कि इस गर्मी ने मनुष्य जाति को उसके हवस का आईना दिखा दिया है। युवा साहित्यकार डॉ. अभिषेक कुमार ने अपनी इस सामयिक और प्रासंगिक रचना के माध्यम से मनुष्य जाति को न सिर्फ आईना दिखाया है बल्कि उसे चेताया भी है। डॉ. अभिषेक ने लिखा है कि इस गर्मी ने दिखा दिया है हमारे हवस को आईना, अंध विकास की आड़ में विनाश के सबब को आईना, सतत विकास की बात तो फ़ाइलों में दब के रह गयी, प्रकृति संग दुष्कर्म करते इंसानी हवस को आईना। अब आसमान से धूप नही आती, आग बरसती है। लौटते परिंदो ने दिखा दिया, कटे तने की कसक को आईना। एसी, कुलर सब फेल हो गया, शरीर बना दहकता शोला, सीजन के नौतपा ने दिखा दिया कंक्रीट के जंगल बेसबब को आइना। वे मनुष्य जाति को आगाह करते हुए लिखते हैं कि अगर अब भी नहीं सम्हले तो मुँह दिखाने के काबिल न बचेंगे, हमारी ही अगली पीढ़ी की बर्बादी दिखाएगी, हमारे हवस को आईना। पेड़ लगाओ, प्रकृति बचाओ को जीवन में अपनाओ ” अभिषेक ” दिखाओ जल, जंगल, जमीन संरक्षण के सबब को आईना।
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Author: समाचार विचार
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