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लाभान्वित होंगे मरीज: बेगूसराय में अत्याधुनिक जांच पद्धति ईआरसीपी से होगा पैंक्रियाटाइटिस का सफल इलाज

“अब बेगूसराय में न केवल लाभान्वित होंगे मरीज बल्कि उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। शहर के महमदपुर स्थित अपने नव स्थापित क्लिनिक में डीएम गैस्ट्रोएंटीरोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने अत्याधुनिक जांच पद्धति ईआरसीपी के माध्यम से पैंक्रियाटाइटिस का उपचार करना प्रारंभ कर दिया है।”

लाभान्वित होंगे मरीज

🎯आईएमए बेगूसराय और सन फार्मा के संयुक्त तत्वावधान में ईआरसीपी पैंक्रियाटाइटिस & इट्स प्रिवेंशन पर हुआ सीएमई का ज्ञानवर्धक आयोजन

🎯कुकुरमुत्ते की तरह उग आए क्लीनिकों पर नकेल कसने के लिए सीएस ने दी चरणबद्ध योजनाओं की जानकारी

लाभान्वित होंगे मरीज
समाचार विचार/बेगूसराय: बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय धीरे धीरे मेडिकल हब के रूप में विकसित होकर न केवल जिलेवासियों बल्कि समीपवर्ती जिलों के मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। अब बेगूसराय में न केवल लाभान्वित होंगे मरीज बल्कि उन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना, दिल्ली और अन्य बड़े शहरों का रुख नहीं करना पड़ेगा। शहर के महमदपुर स्थित अपने नव स्थापित क्लिनिक में डीएम गैस्ट्रोएंटीरोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने अत्याधुनिक जांच पद्धति ईआरसीपी के माध्यम से पैंक्रियाटाइटिस का उपचार करना प्रारंभ कर दिया है। इसी की विस्तृत और गहन जानकारी साझा करने के उद्देश्य से आईएमए हॉल बेगूसराय में रविवार की देर शाम आईएमए बेगूसराय और सन फार्मा के संयुक्त तत्वावधान में ईआरसीपी पैंक्रियाटाइटिस & इट्स प्रिवेंशन पर सीएमई का ज्ञानवर्धक आयोजन किया गया। सीएमई की अध्यक्षता आईएमए के अध्यक्ष डॉ. एके राय और संचालन आईएमए के सचिव डॉ. पंकज कुमार सिंह ने किया। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत मंचासीन लब्ध प्रतिष्ठित चिकित्सकों को उपहार स्वरूप पौधे प्रदान कर की गई।
डीएम गैस्ट्रोएंटीरोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार ने अत्याधुनिक जांच पद्धति ईआरसीपी से डॉक्टर्स को कराया अवगत
डीएम गैस्ट्रोएंटीरोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने अत्याधुनिक जांच पद्धति ईआरसीपी के माध्यम से पैंक्रियाटाइटिस के उपचार पर  प्रकाश डालते हुए सभागार में मौजूद चिकित्सकों को विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैन्क्रिएटोग्राफी (ईआरसीपी) एक ऐसी प्रक्रिया है, जो पित्त और अग्नाशयी नलिकाओं की समस्याओं का पता लगाने और उनका इलाज करने के लिए ऊपरी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) एंडोस्कोपी और एक्स-रे को जोड़ती है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर ईआरसीपी तब करते हैं, जब मरीज के पित्त या अग्नाशयी नलिकाएं लीक हो रही हों या संकुचित या अवरुद्ध हो गई हों।

सूजन और संक्रमण से जानलेवा बन जाती है पैंक्रियाटाइटिस
डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि तीव्र पित्ताशयशोथ एक आपातकालीन स्थिति है, जो आमतौर पर सिस्टिक डक्ट को बाधित और अवरुद्ध करती है, जिसके परिणामस्वरूप पित्ताशय की सूजन और संक्रमण होता है। यदि पित्त पथरी पित्त नली में चली जाती है, तो यह पित्त नली के संक्रमण (कोलांगाइटिस) या तीव्र अग्नाशयशोथ का कारण बन सकती है। यदि उपचार न किया जाए, तो सेप्सिस जैसी घातक जटिलताएँ विकसित हो सकती हैं, जिससे मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है। इससे निपटने के लिए ईआरसीपी एक उन्नत एंडोस्कोपिक जांच है, जिसका उपयोग अग्नाशय और पित्त नली के रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इस जांच पद्धति में एक पतली, लचीली ट्यूब (एंडोस्कोप) जिसके सिरे पर एक कैमरा लगा होता है, उसे गले से होते हुए छोटी आंत में डाला जाता है। डाई एंडोस्कोप से गुज़री एक छोटी खोखली ट्यूब (कैथेटर) के ज़रिए नलिकाओं में प्रवेश करती है। अगर पित्त की पथरी के कारण पित्त नली में रुकावट का पता चलता है, तो कैथेटर से जुड़े कई तरह के गुब्बारे और टोकरियाँ नलिकाओं में डाली जा सकती हैं जिससे पथरी को हटाया जा सकता है। हालाँकि, अगर असामान्य द्रव्यमान जो पित्त नली के संपीड़न का कारण बनता है, का पता चलता है, तो रोग संबंधी आकलन के लिए ऊतक के नमूने निकाले जा सकते हैं। पित्त नली में ट्यूब डालने (पित्त की निकासी) को आमतौर पर पीलिया से राहत दिलाने के लिए किया जा सकता है जब पित्त नलिकाएँ अवरुद्ध होती हैं।
इन लक्षणों को नजरंदाज करने से बढ़ जाएंगी मुश्किलें
डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि अगर आपको अचानक पेट में दर्द हो या पेट में दर्द हो जो ठीक न हो रहा हो तो डॉक्टर से तुरंत मिलें। अगर आपका दर्द इतना गंभीर है कि आप स्थिर नहीं बैठ सकते या कोई ऐसी स्थिति नहीं ढूँढ़ सकते जो आपको ज़्यादा आरामदायक लगे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। उन्होंने कहा कि इन लक्षणों को नजरंदाज करने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्होंने अपनी उपलब्धियों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने अब तक कुल सत्रह ईआरसीपी किए हैं, जो शत प्रतिशत सफल रहा है। सीएमई के दौरान मौजूद चिकित्सकों के बीच इस जांच पद्धति पर सवाल जवाब का भी ज्ञानवर्धक दौर चला, जिससे उपस्थित सभी चिकित्सक लाभान्वित हुए। कार्यक्रम के मध्य में आयोजित परिचय सत्र के दौरान चिकित्सक एक दूसरे से परिचित हुए और एक दूसरे को शुभकामनाएं भी दी।

कुकुरमुत्ते की तरह उग आए क्लीनिकों पर नकेल कसने के लिए सीएस ने दी चरणबद्ध योजनाओं की जानकारी
कार्यक्रम में बेगूसराय के सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार सिंह भी मौजूद थे। जब आईएमए अध्यक्ष डॉ. एके राय ने उपस्थित चिकित्सकों को अपने अस्पतालों को निबंधित करने की सलाह देते हुए आईएमए के द्वारा हरसंभव सहायता उपलब्ध कराए जाने की बात कही तो कुछ चिकित्सकों ने शहर में कुकुरमुत्ते की तरह उग आए निजी क्लीनिकों पर नकेल कसने की आवश्यकता पर जोर देते हुए सीएस से इस संबंध में प्रशासनिक तैयारियों पर जानकारी साझा करने का आग्रह किया। सीएस ने अवैध रूप से संचालित ऐसे निजी क्लीनिकों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई करने की चरणबद्ध योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि अगर अस्पतालों की निबंधन प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है, तो इन्हें शिनाख्त कर प्रतिबंधित करने की प्रक्रिया सुगम हो जाएगी। बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण में संलग्न एजेंसियों पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि दरअसल इसके लिए दो ही एजेंसी हैं, इसलिए वे डिक्टेट करते हैं। इस दिशा में आईएमए के सहयोग से प्रशासनिक स्तर पर भी समुचित कार्रवाई की जाएगी।
अब हर महीने दो सीएमई का आयोजन करेगी बेगूसराय आईएमए
बेगूसराय आईएमए के सचिव डॉ. पंकज कुमार सिंह ने उपस्थित चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि बेगूसराय आईएमए ने यह निर्णय लिया है कि अब प्रत्येक महीने दो सीएमई का नियमित आयोजन किया जाएगा ताकि चिकित्सक नवीनतम तकनीकों से अद्यतन रह सकें। साथ ही आईएमए के सदस्यों के परिचय पत्र निर्गत करने पर भी विचार विमर्श किया गया।

इन गणमान्य चिकित्सकों की मौजूदगी में हुआ सीएमई का आयोजन
सीएमई के दौरान मौजूद चिकित्सकों ने डॉ. एके राय के बेगूसराय में 41 वर्ष के निष्कंटक चिकित्सकीय सेवा पूर्ण होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी। मौके पर साइंटिफिक कमिटी के चेयरमैन डॉ. विनय कुमार, डॉ. शशिभूषण, एक्स सीएस डॉ. हरिनारायण सिंह, डॉ. केके सिंह, डॉ. जमशेद, डॉ. रामरेखा, डॉ. कामिनी, डॉ. रामाश्रय सिंह, ईश्वर अस्पताल के निदेशक डॉ. संजय कुमार, डॉ. राहुल कुमार, डॉ. शैलेंद्र लाल, डॉ. अजीत कुमार सिन्हा, डॉ. आमोद कुमार, डॉ. रजनीश कुमार, डॉ. धीरज, डॉ. विजय कुमार झा, डॉ. प्रभाकर ठाकुर, डॉ. मनीष, डॉ. अमलेंदु, डॉ. आशुतोष, डॉ. पद्माकर सहित अन्य गणमान्य चिकित्सक मौजूद थे।

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