बिहार में इन दोनों अगर सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है तो वह है एकमात्र शिक्षा विभाग। Education News Begusarai जब से शिक्षा विभाग बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव पद पर केके पाठक विराजमान हुए हैं, तब से किसी न किसी नए फरमान और बदलाव को लेकर अभिभावकों और शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है।
🌀बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के हास्यास्पद आदेश से हतप्रभ हैं छात्र और अभिभावक
🌀अनायास उत्पन्न इस संकट से हैरान और परेशान हैं विभिन्न विद्यालयों के एचएम
समाचार विचार/अशोक कुमार ठाकुर/बेगूसराय: बिहार में इन दोनों अगर सबसे अधिक चर्चा का विषय बना हुआ है तो वह है एकमात्र शिक्षा विभाग। Education News Begusarai जब से शिक्षा विभाग बिहार सरकार के अपर मुख्य सचिव पद पर केके पाठक विराजमान हुए हैं, तब से किसी न किसी नए फरमान और बदलाव को लेकर अभिभावकों और शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है। कुछ ही दिन पहले गर्मी छुट्टी की समाप्ति के बाद प्रातः कालीन कक्षा 6:00 बजे से शिक्षकों को विद्यालय पहुंचने का निर्देश और डेढ़ बजे प्रस्थान करने के आदेश जैसे विषयों को लेकर चर्चा होती आ रही है। अब, एक नए फरमान को लेकर छात्रों – शिक्षकों एवं समाज में चर्चा शुरू हो गई है। इस फरमान के मुताबिक फरवरी के प्रथम सप्ताह में इंटर की वार्षिक परीक्षा एवं दूसरे सप्ताह में मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा आयोजित होनी है। मैट्रिक का परिणाम भी घोषित हो चुका है परंतु इंटर में नामांकन नहीं होने के कारण कई माह बीत जाने के बाद भी सड़क पर बच्चे भटक रहे हैं। परंतु शिक्षा विभाग बिहार सरकार ने यह निर्देश जारी कर दिया है कि नामांकन प्रक्रिया बाद में पूरी की जाएगी लेकिन जिन छात्रों ने जिस विद्यालय से मैट्रिक की वार्षिक परीक्षा उत्तीर्ण किया है वहां 11 वीं की कक्षा बिना नामांकन के प्रारंभ कर देनी चाहिए और हद तो तब हो गया जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने विज्ञप्ति जारी करते हुए 30 मई 2024 से 8 जून 2024 तक मई माह के मासिक परीक्षा का कैलेंडर भी जारी कर दिया।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के हास्यास्पद आदेश से हतप्रभ हैं छात्र और अभिभावक
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के इस हास्यास्पद आदेश से न केवल छात्र और अभिभावक बल्कि विद्यालयों के एचएम भी परेशान हैं। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े जानकारों का कहना है कि यह सारा मामला कमीशन का है। विभाग में हर अधिकारी चाटुकार एवं निजी एजेंसियों के इर्द गिर्द घिरे हुए हैं। पहले अर्धवार्षिक व त्रैमासिक परीक्षा के प्रश्न पत्र छापने का काम माध्यमिक शिक्षक संघ के द्वारा होता था, लेकिन विगत कई सत्रों से यह काम बिहार विद्यालय परीक्षा समिति निजी एजेंसियों के माध्यम से करवाती है, जिसमें बहुत बड़े कमीशन खोर का रैकेट सक्रिय है।अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद छात्र संघ अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था एक अर्ध विकसित अधिकारी के हाथ में चली गई है। जिस वजह से बिहार के युवाओं का भविष्य अंधकार में डूबता जा रहा है। 4 महीने से मैट्रिक पास और इंटर पास छात्र सड़क पर भटक रहे हैं। शिक्षा विभाग को पढ़ाई से नहीं बल्कि प्रश्न पत्र छपाई के कमिशन एवं शिक्षकों के ऊपर दमनात्मक कार्यों से मतलब रह गया है। उन्होंने आक्रोशित स्वर में कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से जिन शिक्षकों की बहाली हुई है, उसकी अगर जांच की जाए तो उसमें भी बड़ी धांधली का खुलासा हो सकता है। जिसका खुलासा आए दिन शिक्षा विभाग स्वयं भी कर रहा है। चाहे शिक्षकों की बहाली हो, प्रश्न पत्र की छपाई हो अथवा विद्यालय की जांच हो हर स्तर पर व्यापक कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है।
अनायास उत्पन्न इस संकट से हैरान और परेशान हैं विभिन्न विद्यालयों के एचएम
कई विद्यालयों के प्रधानों ने इस आदेश पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि मैट्रिक पास करने के बाद अगर नामांकन नहीं हुआ है तो यह कैसे तय करें कि हमारे यहां कितने छात्र कला में और कितने छात्र विज्ञान तथा वाणिज्य संकाय में नामांकित होंगे। बिना नामांकन और बिना पढ़ाई कितने छात्र कला में और कितने छात्र विज्ञान में परीक्षा देंगे, यह तय करना मुश्किल हो रहा है। कई बार यह भी देखा गया है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सीबीएसई के माध्यम से उत्तीर्ण मैट्रिक छात्र भी इंटर बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से करते हैं। ऐसी स्थिति में बिना नामांकन और बिना पढ़ाई मासिक परीक्षा का लेना मूर्खतापूर्ण एवं हास्यास्पद निर्णय है।
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Author: समाचार विचार
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