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गहराया विवाद: जयमंगला मंदिर पुनर्निर्माण कमिटी के सदस्यों पर एसडीओ ने की धारा 107 की कार्रवाई

  • सेवायत पुतुल शर्मा के आवेदन पर हुई कार्रवाई से आक्रोशित हैं क्षेत्र के लोग

  • ऐतिहासिक धरोहर को सजाने संवारने की कवायद पर लगा ग्रहण

गहराया विवाद
समाचार विचार/मंझौल/बेगूसराय: देश में जारी लोकसभा चुनाव के बीच भीषण गर्मी में जहां चुनावी तापमान चरम पर है, वहीं मंझौल में माता जयमंगला मंदिर पुनर्निर्माण कार्य को लेकर यहां की सियासत गरमा गई है। जानकारी के अनुसार देश के 52 शक्तिपीठों में से एक प्रसिद्ध जयमंगला माता मंदिर पर विगत वर्ष तेज आंधी और तूफान के बीच विशाल बरगद का पेड़ दो बार लगभग चार महीने के अंतराल पर गिरने से बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया, जिससे यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी होने लगी। चूंकि उक्त मंदिर परिसर का भूमि विवादित है तथा इसका मंझौल कोर्ट में टीएस नंबर 182/85 गंगा प्रसाद झा व अन्य बनाम बिहार सरकार के बीच मुकदमा लंबित है। जबकि सर्वविदित है कि सेवायत परिवार माता जयमंगला के मंदिर का लगभग विगत तीन सौ वर्षो से सेवा करते आ रहे हैं। फलत: सेवायत परिवार के द्वारा श्रद्धालुओं की परेशानी के मद्देनजर सत्रवाद संख्या 182/85 में न्यायालय से मंदिर की मरम्मती के लिए अनुमति देने मांग की गई। जिस पर न्यायालय ने 26 सितंबर 2023 को मंदिर मरम्मती हेतु अनुमति प्रदान कर दी तथा मंदिर मरम्मती कार्य प्रारंभ हो गया। परंतु इस बीच मंझौल एवं आस-पास के दर्जनों पंचायत के लोगों को मरम्मती कार्य का पता चला तो बैठक कर एक अलग मंदिर पुनर्निर्माण कमिटी का गठन कर लिया गया।

मंदिर पुनर्निर्माण कमिटी गठन के बाद बैठक में लिया गया था महत्वपूर्ण निर्णय
प्रसिद्ध जयमंगला माता मंदिर पुनर्निर्माण कमिटी गठन के बाद से ही मंझौल में चर्चाओं का बाजार गर्म था तथा माता के मंदिर की प्रसिद्धि को देखते हुए यहां के लोग मंदिर का लुक भव्य एवं आकर्षक बनाने के लिए आतूर नजर आने लगे थे। इन सब के बीच विगत 23 अप्रैल को मंदिर परिसर में एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसका कमिटी के लोगों ने व्यापक रूप से प्रचार प्रसार किया तथा बैठक में क्षेत्र के विभिन्न पंचायतों से दर्जनों लोग शामिल हुए। बैठक में मौजूद श्रद्धालुओं एवं सदस्यों ने अपने अपने विचार से कमिटी को अवगत कराया। सूत्रों की मानें तो बैठक में सेवायत परिवार के सदस्य भी मौजूद थे तथा उन्होंने ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए माता का मंदिर भव्य बने, इसकी इच्छा जाहिर की थी। बैठक में मौजूद कमिटी के सदस्यों ने महत्वपूर्ण विचारों को नोट कर अंतिम निर्णय लेते हुए 15 दिनों तक काम रोकने पर सहमति बनी थी तथा मंदिर के पुनर्निर्माण में इंजीनियर को बुलाकर स्थल निरीक्षण के उपरांत नक्शे के अनुसार पत्थर से मंदिर पुनर्निर्माण का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था परंतु पुनर्निर्माण कमिटी के अध्यक्ष सहित 25 अन्य लोगों पर 107 की कार्रवाई होने के बाद मंझौल का पारा सातवें आसमान पहुंच गया है। सूत्र बताते हैं कि अब सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी हुई है। जहां लोग कई तरह से सवाल खड़ा करते हुए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि बैठक में शामिल कई महानुभावों जिनका क्षेत्र एवं समाज में मजबूत पकड़ है, ऐसे प्रबुद्धजनों को छोड़कर अधिकारी के द्वारा कार्रवाई की गई है।

पुनर्निर्माण कमिटी सदस्यों सहित 25 लोगों पर 107 की कार्रवाई से गरमायी सियासत 
मंदिर पुनर्निर्माण कमिटी के द्वारा 23 अप्रैल की बैठक में लिए गए निर्णय के बाद मंझौल की सियासत गरमा गई तथा सेवायत परिवार के पुतूल शर्मा के द्वारा बैठक के विरुद्ध एक आवेदन अनुमंडलाधिकारी मंझौल एवं मंझौल थाना में प्रस्तुत किया गया। जानकारी के अनुसार सेवायत पुतुल शर्मा के आवेदन के आलोक में माता के मंदिर निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न करने, कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने तथा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में अध्यक्ष धनंजय सिंह उर्फ कारू सिंह, संजय सिंह, अभिषेक कुमार सहित 25 लोगों पर धारा 107 के तहत कार्रवाई कर दी गई। 107 की कार्रवाई वाली पत्र के माध्यम से अनुमंडलाधिकारी ने बताया कि आयोजित बैठक से क्षेत्र एवं मंदिर परिसर में विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की आशंका है। चूंकि यह मेरे अधिकार क्षेत्र में आता है इसलिए आवेदक से संतुष्ट होकर द्वितीय पक्ष के विरुद्ध 107 के अंतर्गत कार्रवाई प्रारंभ किया गया है। साथ ही द्वितीय पक्ष को 30 अप्रैल 2024 को कोर्ट परिसर में उपस्थित होने की एवं क्यों नहीं वर्ष भर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए तीन लाख रूपये तथा उसी राशि के दो प्रतिभूति के साथ बंद पत्र दाखिल करने की हिदायत दी गई है। साथ ही थाना अध्यक्ष मंझौल को निर्देश दिया गया है कि तीन दिनों के पूर्व नोटिस का तामिला प्रतिवेदन कराकर न्यायालय में समर्पित करें।

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