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बड़ा सवाल: आखिर भूमाफियाओं के सामने नतमस्तक क्यों है बिहार सरकार का प्रशासनिक तंत्र

  • बेगूसराय में सरकारी भवन को तोड़कर वक्फ बोर्ड के नाम पर चलाया जा रहा है निजी व्यवसाय

  • बछवाड़ा विधायक सुरेंद्र मेहता के द्वारा सदन में आवाज उठाने के बावजूद सरकार ने साध रखी है चुप्पी

बड़ा सवाल
समाचार विचार/अशोक कुमार ठाकुर/तेघड़ा/बेगूसराय: बेगूसराय के लोगों के जेहन में बड़ा सवाल कौंध रहा है कि आखिर भूमाफियाओं के सामने बिहार सरकार का प्रशासनिक तंत्र नतमस्तक क्यों है? बेगूसराय के तेघड़ा में सरकारी जमीन पर अवैघ कब्जे का सिलसिला कई वर्षों से जारी है। अब तो हालात ये हो गए हैं कि सरकारी जमीन की निगरानी की जिम्मेदारी जिन अफसरों पर है, वे सुस्त कार्यप्रणाली का परिचय दे रहे हैं। यही कारण है कि सरकारी तंत्र से बेखौफ होकर लोग सरकारी जमीनों पर कब्जे करते आ रहे हैं। वह भी उन स्थानों पर, जहां जमीनों के रेट लाखों करोड़ों में हैं।लाखों करोड़ों की सरकारी जमीन पर खुलेआम कब्जे के खेल में अफसरों की सांठ-गांठ से इनकार नहीं किया जा सकता है। यह सिलसिला तेघड़ा नगर परिषद क्षेत्र से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक जारी है। तेघड़ा नगर परिषद की विभिन्न बेशकीमती सरकारी भूखंडों के खरीद फरोख्त व नाजायज तरीके से जमाबंदी कायम करवा लेने के बाद अब यह मामला सुर्खियां बटोर रहा है।

मामले के गवाह ने व्यक्त की है जान माल के नुकसान की आशंका
तेघड़ा अंचल के चिल्हाय पंचायत अंतर्गत खिजीरचक वार्ड संख्या तीन में पूर्व जिला पार्षद व वर्तमान में बिहार सरकार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता के द्वारा अनुशंसित वर्ष 2003-4 में बनाए गए सामुदायिक भवन, पूर्व जिला पार्षद बिलकश बेगम द्वारा अनुशंसित 2012-13 में बनाए गए सामुदायिक भवन को सैयद मिस्वाह उद्दीन अशरफ उर्फ गुलाब और उनके सहयोगी के द्वारा दोनों निर्मित सरकारी सामुदायिक भवन को बिना सरकारी आदेश के असंवैधानिक तरीके से तोड़कर उक्त स्थल पर अवैध निजी निर्माण कार्य करवाया जाना स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधि को खुली चुनौती से कम नहीं है। सरकारी संपत्ति और सार्वजनिक स्थलों को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाना कानूनी जुर्म है। यह सूचना विभिन्न समाचार पत्र में प्रकाशित होते ही पूर्व प्रखंड विकास पदाधिकारी संदीप कुमार पांडे द्वारा तेघड़ा थाना में सैयद मिस्वाह उद्दीन अशरफ के खिलाफ सुसंगत धाराओं के तहत तेघड़ा थाना कांड संख्या 154 / 2022 दिनांक 07/06/2022 प्राथमिकी दर्ज दर्ज कराई गई थी। लेकिन आज तक क्या कार्रवाई हुई, इससे आम जनता अनभिज्ञ है। इस कांड में पूर्व सरपंच मोहम्मद दानिश अफजल को गवाह बनाया गया था, जिनकी गवाही के बगैर ही थाना द्वारा इनका बयान दर्ज कर दिया गया, जो न्याय संगत नहीं है। मोहम्मद दानिश अफजल के द्वारा 12 दिसंबर 2023 को जिला पदाधिकारी बेगूसराय सहित आयुक्त के सचिव मुंगेर प्रमंडल को पत्राचार से इस आशय की जानकारी एवं दोषियों पर सुसंगत करवाई की मांग की गई थी। आयुक्त कार्यालय मुंगेर प्रमंडल के पत्रांक जी – 48 – 08/2023 – 2024 दिनांक 18 मार्च 2024 के माध्यम से जिला पदाधिकारी बेगूसराय को आवश्यक कार्रवाई करते हुए सूचना उपलब्ध कराने को कहा गया था। फिर मोहम्मद दानिश अफजल द्वारा 29 जनवरी  2024 को जिला पदाधिकारी बेगूसराय से सूचना मांगी गई कि दिए गए आवेदन के आलोक में जांचों उपरांत विधि सम्मत कार्रवाई की जाए।

बछवाड़ा विधायक सुरेंद्र मेहता के द्वारा सदन में आवाज उठाने के बावजूद सरकार ने साध रखी है चुप्पी
पूर्व सरपंच सैयद मोहम्मद दानिश अफजल एवं पंचायत समिति सदस्य संजीव कुमार शंकर ने बताया कि सैयद मिस्वाह उद्दीन उर्फ गुलाब ने अपने निजी व्यवसाय हेतु अपने निजी स्तर से मदरसा को चला रहे हैं, जिसमें अपवाद एक दो लड़के को छोड़कर उर्दू तालीम लेने वाले बच्चे बिहार के विभिन्न जिले कटिहार, अररिया सहित अन्य जिले से आकर मोटी रकम देकर उर्दू की पढ़ाई करते हैं। इन्होंने बताया कि इनके द्वारा फर्जी दस्तावेज बनाकर अवैध वक्फ चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि कांड के अभियुक्त व सहयोगी द्वारा मुझे परेशान किया जा रहा है और गलत मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी जा रही है। ज्ञात हो कि पूर्व में आक्रोशित जनता ने बछवाड़ा विधायक सुरेंद्र मेहता का चिल्हाय पुल पर घेराव कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने आक्रोशित लोगों को भरोसा दिलाया था कि मैं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के प्रति संकल्पित हूं और उनके द्वारा सदन में इस मुद्दे को उठाया गया था। लेकिन भूमाफिया के सामने सरकारी तंत्र और प्रशासनिक कार्रवाई बेअसर साबित हुआ। जिसको लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह से सरकारी संपत्ति को तोड़ना कानूनी अपराध है। प्रशासन इस पर तुरंत संज्ञान में ले। दो योजनाओं की सरकारी भवन को तोड़कर सरकार को लाखों का नुकसान पहुंचाया गया है, जो एक कानूनी जुर्म है।

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