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बड़ा सवाल: आखिर किसके दबाव में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा हुए उपेक्षा के शिकार

  • बलिया में आयोजित पंचायत समिति सदस्यों की बैठक के आमंत्रण पत्र में नदारद रहा राज्यसभा सांसद का नाम
  • स्थानीय प्रशासन के द्वारा राज्यसभा सांसद को दरकिनार करने के बाद चर्चा का बाजार हुआ गर्म
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समाचार विचार/बेगूसराय:बेगूसराय में भारतीय जनता पार्टी भले ही अंतर्कलह का शिकार नजर आ रही हो लेकिन उसका फायदा स्थानीय प्रशासन को नहीं उठाना चाहिए था। 24 जनवरी यानि कल बलिया प्रखंड के सभागार में पंससों की आयोजित बैठक हेतु प्रेषित किए गए अनुरोध पत्र में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा का नाम गायब रहने से क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कार्यपालक पदाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी के द्वारा पूर्व की बैठक में उपस्थित रहने के लिए बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह और राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा को अनुरोध पत्र प्रेषित किया गया था लेकिन 24 जनवरी को आयोजित बैठक के लिए कार्यपालक पदाधिकारी ने जो चिट्ठी जारी की थी, उसमें सांसद गिरिराज सिंह का नाम तो अंकित है किंतु राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा का नाम गायब कर दिया है। इसे टंकण त्रुटि तो कतई कहा नहीं जा सकता है लेकिन इससे स्थानीय प्रशासन के द्वारा स्थानीय कद्दावर नेताओं के दबाव में आकर लिया गया ओछा निर्णय जरूर कहा जा सकता है, जिससे क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गर्म है। बड़ा सवाल

  • बलिया में आयोजित पंचायत समिति सदस्यों की बैठक के आमंत्रण पत्र में नदारद रहा राज्यसभा सांसद का नाम

विदित हो कि 24 जनवरी को बलिया प्रखंड सभागार में पंससों की आयोजित बैठक हेतु कार्यपालक पदाधिकारी ने 13 जनवरी को जो चिट्ठी जारी की थी, उसमें राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा का नाम ही गायब कर दिया गया था जबकि सांसद गिरिराज सिंह को बैठक में उपस्थित रहने हेतु अनुरोध किया गया था। अब सवाल उठना लाजिमी है कि कार्यपालक पदाधिकारी ने किसके दबाव में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा की उपेक्षा की है। स्थानीय लोगों में इस बात की जोर शोर से चर्चा हो रही है कि स्थानीय कुछ कद्दावर नेताओं के दबाव में आकर इस तरह की ओछी हरकत की गई है। राजनीति में सक्रिय रहने वाले कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस ओछी हरकत से क्षेत्र के लोगों में गलत संदेश गया है और राकेश सिन्हा जैसे सर्वसुलभ, जनहित के मुद्दों के प्रति संवेदनशील और सक्रिय रहने वाले शख्सियत के साथ की गई उपेक्षात्मक व्यवहार ने स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।

  • स्थानीय प्रशासन के द्वारा राज्यसभा सांसद को दरकिनार करने के बाद चर्चा का बाजार हुआ गर्म

4 नवंबर 2023 को आयोजित होने वाली बैठक के लिए प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ने 27 अक्तूबर 2023 को जो चिट्ठी जारी की थी, इसमें बेगूसराय सांसद गिरिराज सिंह के साथ राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा को भी बैठक में शामिल होने का अनुरोध किया गया था लेकिन 24 जनवरी 2024 को आयोजित बैठक हेतु निर्गत पत्र में राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा का नाम गायब करने के पीछे की मंशा समझ से परे है। कुछ सवाल लोगों के जेहन में तैर रहे हैं! मसलन क्या स्थानीय प्रशासन ने किसी कद्दावर राजनेता के प्रभाव और दबाव में आकर ऐसी ओछी हरकत की है या स्थानीय प्रशासन इतनी अनुशासनहीन और बेलगाम हो गई है कि उसने सार्वजनिक पत्र में राज्यसभा सांसद को दरकिनार कर उनकी उपेक्षा कर दी है। आप क्या सोचते हैं, कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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