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‘भारत रत्न’ कर्पूरी ठाकुर के बारे में एक सनसनीखेज जानकारी: क्या 1984 में एक नेता के घर रची गई थी उनकी हत्या की साजिश 

  • पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास ने केंद्र और राज्य सरकार से की थी मौत की जांच की मांग

  • प्रासंगिक और पठनीय है आधुनिक पत्रकारिता के कबीर सुरेंद किशोर का यह एफबी पोस्ट

भारत रत्न’ कर्पूरी ठाकुर के बारे में एक सनसनीखेज जानकारी

✍️ सुरेंद्र किशोर

समाचार विचार/पटना: बिहार विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता कर्पूरी ठाकुर ने 11 सितंबर, 1984 को बिहार सरकार के मुख्य सचिव के.के.श्रीवास्तव को एक गोपनीय पत्र (संख्या-101/वि.स./आ.स.) लिखा था।उन्होंने लिखा था कि ‘‘मैं एक आवश्यक ,किंतु गोपनीय विषय की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं। इस अगस्त महीने में श्री …………..के पटना स्थित आवास में एक खानगी मिटिंग हुई थी जिसमें सिर्फ दस आदमी हाजिर थे। श्री……………ने उस मीटिंग में कहा कि दस लाख रुपए इकट्ठा करना चाहिए और इस राशि से आग्नेयास्त्र खरीदना चाहिए। इन आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल हरिजनों और पिछड़ों के तेजस्वी और लड़ाकू तत्वों का सफाया करने के लिए किया जाना चाहिए। तीन महीने बाद कर्पूरी ठाकुर के औरंगाबाद और गया जिले में आने पर बिलकुल साफ हो जाना चाहिए।’’ मैं यह पत्र सूचनार्थ लिख रहा हूं ताकि समय पर काम आवे।
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               आपका
             कर्पूरी ठाकुर
पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास ने केंद्र और राज्य सरकार से की थी मौत की जांच की मांग
दरअसल उस मीटिंग में जो लोग मौजूद थे, उनमें से एक व्यक्ति ने इस साजिश की जानकारी पूर्व मंत्री रामलखन सिंह यादव और दूसरे ने पूर्व मंत्री कपिलदेव सिंह को दे दी थी। फिर यह बात कर्पूरी ठाकुर तक पहुंची। उधर मुख्य सचिव ने कर्पूरी ठाकुर की चिट्ठी मुख्य मंत्री चंद्रशेखर सिंह को दिखाई। मुख्य मंत्री ने निदेश दिया कि ‘‘किस व्यक्ति द्वारा इन्हें सूचना मिली,इसकी जानकारी प्राप्त कर पूछताछ की जानी चाहिए।’’ बाद में इस प्रसंग में क्या हुआ ,वह सब पता नहीं चल सका। पर,जब 1988 में कर्पूरी ठाकुर की संदेहास्पद स्थिति में मौत हुई तो पूर्व मुख्य मंत्री रामसुन्दर दास ने उनकी मौत की जांच कराने की केंद्र और राज्य सरकार से मांग की थी। बिहार सरकार के पूर्व राज्य मंत्री व विधान सभा के सदस्य रघुवंश प्रसाद सिंह ने 22 फरवरी, 1988 को प्रधान मंत्री राजीव गांधी को पत्र लिखकर उनसे मांग की थी कि कर्पूरी ठाकुर की मौत की उच्चस्तरीय जांच कराई जाये। रघुवंश जी ने,जो बाद में केंद्र में मंत्री बने थे ,प्रधान मंत्री को अपने पत्र में लिखा कि ‘‘….प्रधान मंत्री ने दो वर्ष पूर्व बिहार में समाजशास्त्रीय अध्ययन कराया था कि कर्पूरी ठाकुर के नहीं रहने पर बिहार की राजनीतिक स्थिति का क्या होगा ? कर्पूरी जी का जो जनाधार है,वह कहां जाएगा ? आपके द्वारा निदेशित यह समाजशास्त्रीय अध्ययन भी अब शंकाओं की परिधि में आ गया है।

....जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध
प्रभात खबर, दैनिक भास्कर और जी मीडिया में संपादक के रूप में ख्याति अर्जित करने वाले स्वयं प्रकाश ने पद्म श्री सुरेंद्र किशोर को संबोधित करते हुए लिखते हैं कि दुर्भाग्य। राजनीतिक षड्यंत्र बेनकाब न हो सका। होता भी कैसे? रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे, हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे। यानी जिनको कर्पूरी जी की लोकप्रियता से डर था या जिनके राजनीतिक राह के वे रोड़ा थे, वैसे ही लोग इस कुत्सित कुकर्म में शामिल थे। चंद्रशेखर सिंह ने आदेश दिया। चुनाव बाद उनको दिल्ली भेज दिया गया उसके बाद बिंदेश्वरी दुबे, भागवत झा आजाद, सत्येंद्र बाबू, जगन्नाथ मिश्र सी एम बने सभी कांग्रेसी थे। ऐसे में जांच होना अस्वाभाविक था, पर कर्पूरी जी के नाम की माला जप कर मलाई खानेवाले भी जांच नहीं करा सके, यह भी जांच का विषय है। केंद्र और राज्य में कर्पूरी कर्पूरी राग अलाप आग लगाते रहे। सामाजिक न्याय करते करते परिवार तक सिमट गए। इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। ……जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध..। राम सुंदर दास और रघुवंश बाबू दोनों सच्चे समाजवादी थे। दोनों ने जांच की मांग की प्रधानमंत्री तक को लिखा, पर नतीजा शून्य बटा सन्नाटा। कर्पूरी ठाकुर जैसे महापुरुष मरा नहीं करते। उनके विचार, उनके कार्य ने उनको इतिहास पुरुष बना दिया। आखिर जो काम कथित समाजवादी नहीं कर सके उसे मोदीनीत भाजपा सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित कर किया। अतीत साक्षी है इतिहास पुरुष मरा नहीं करते। स्वयं प्रकाश लिखते हैं कि आप हमेशा कर्पूरी ठाकुर जी के जीवन के अनछुए पहलुओं से नई पीढ़ी को अवगत कराते रहते हैं। आपको यह सौभाग्य प्राप्त है कि आपको उन्होंने स्वयं छपरा जाकर अपने साथ काम करने का न्योता दिया, यह ऐतिहासिक है। क्योंकि हीरे को जौहरी ही पहचान सकता है। इतना ही नहीं आपने उनको भारत रत्न देने की मांग अपने लेखन में करते रहे। आप आधुनिक पत्रकारिता के कबीर हैं। वे राजनीति के कबीर थे। ज्यों की त्यों धरी दिनहीं चादरिया, झीनी रे झीनी….
🎯जिन्हें कल दे रहे थे गाली, आज दिया है उन्हें भारत रत्न सम्मान

🎯मिली सहमति: महामहिम राज्यपाल आज बेगूसराय में करेंगे राष्ट्रीय हैंडबॉल प्रतियोगिता का उद्घाटन

 

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