जरूरी है सतर्कता: अनुमंडल प्रशासन और बुद्धिजीवियों की सूझ बूझ से जलने से बच गया बेगूसराय

  • होली के दिन चाकूबाजी की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हुई नाकाम

  • चाकू बाजी मामले के आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल

जरूरी है सतर्कता
समाचार विचार/अशोक कुमार ठाकुर/तेघड़ा/बेगूसराय: हाल के कुछ वर्षों में बेगूसराय जिले के विभिन्न इलाकों में घटित सांप्रदायिक उन्माद की घटना से बचने के लिए जरूरी है सतर्कता। इस वीभत्स दौर में समाज के शांतिप्रिय और बुद्धिजीवी वर्ग की चिंता लाजिमी है। एक बार फिर सांप्रदायिक ताकतों ने बेगूसराय को नफरत के आग में झोंकने की नाकाम कोशिश जरूर की लेकिन अनुमंडल प्रशासन और स्थानीय बुध्धिजीवियों की सूझ बूझ और सतर्कता से बेगूसराय को जलने से बचा लिया गया। दो व्यक्तियों की लड़ाई को सामूहिक लड़ाई बनाकर सामाजिक सौहार्दता को प्रभावित करना किसी भी सूरत में न्याय संगत नहीं है। आज भी समाज के अंदर कुछ ऐसे तत्व सर उठाए हुए हैं, जिनकी गिद्ध दृष्टि सामाजिक सद्भाव पर बनी रहती है। ऐसे विध्वंसक प्रवृति के लोग दो व्यक्ति के झगड़े को तिल से ताड़ बनाकर सामाजिक समरसता को बिगाड़ने की साजिश में लगे रहते हैं। लेकिन स्थानीय बुद्धिजीवियों की सूझ- बूझ एवं प्रशासन की सतर्कता के कारण इस तरह के मामले में फुलवड़िया थाने की पुलिस को भारी सफलता मिली है।

चाकू बाजी मामले के आरोपित को पुलिस ने गिरफ्तार कर भेजा जेल
दरअसल फुलवड़िया थाना अंतर्गत होली के दिन एक युवक ने रास्ते से गुजर रहे युवक को अबीर लगा दी। दोनों के बीच तू-तू-मैं-मैं  होते ही रंग का विरोध करने वाले युवकों ने अपने जेब से चाकू निकालकर होली खेल रहे युवक पर वार कर दिया, जिससे वह युवक घायल हो गया। उपस्थित लोगों ने चाकू चलने की घटना की सूचना स्थानीय थाना को दे दी। सूचना पाते ही फुलवड़िया थाना की पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंच गई। स्थानीय लोगों के सहयोग से पकड़े गए आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया गया। पुलिस ने घायल को इलाज में भेज कर गिरफ्तार आरोपी को जांचोंपरांत फुलवड़िया थाना कांड संख्या 37/24 दर्ज कर न्याय संगत धाराओं के तहत न्यायालय के माध्यम से जेल भेज दिया।

होली के दिन चाकूबाजी की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हुई नाकाम
इस घटना को दूसरे रूप में तूल पकड़ने वाले लोगों ने आग में घी डालने का काम शुरू कर दिया। लेकिन थाना और अनुमंडल प्रशासन की सतर्कता एवं सूझ- बूझ के कारण वैसे तत्वों को मायूस और निराशा ही हाथ लगी। इस तरह के लोगों द्वारा समाचार लिखने वाले लोगों पर भी दबाव बनाना शुरू किया लेकिन वहां भी वैसे तत्वों को असफलता हाथ लगी। इसी तरह पिछले कई उदाहरण भी क्षेत्र वासियों के जेहन में है। प्रशासन का कहना है वैसे लोग अपनी गलत प्रवृत्ति को छोड़कर समाज में शांति व्यवस्था कायम रखने में अपनी भूमिकाओं का निर्वाह करें, जिससे समाज और देश की भलाई हो सके।

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