🎯दस पंचायत समिति सदस्यों ने जिलाधिकारी को संज्ञान लेकर नियमानुकूल कार्रवाई करने हेतु दिया आवेदन
🎯अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पंससों के बैठक से गायब रहने के बाद धनबल की आशंका पर लगी मुहर
समाचार विचार/बेगूसराय/साहेबपुरकमाल: प्रखंड मुख्यालय स्थित सभागार में अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने के बाद साहेबपुरकमाल प्रखंड प्रमुख अनीता राय की कुर्सी भले ही बरकरार रह गई हो लेकिन अभी संकट के बादल नहीं छंटे हैं। कुल दस पंचायत समिति सदस्यों ने जिलाधिकारी रौशन कुशवाहा को आवेदन देकर पंचायती राज अधिनियमों के उल्लंघन का सप्रमाण आरोप लगाते हुए विधिसम्मत कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। प्रखंड प्रमुख अनीता राय के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले आठ पंचायत समिति सदस्यों की सदस्यता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस संबंध में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर प्रखंड मुख्यालय में आयोजित विशेष बैठक में शामिल हुए दस पंचायत समिति सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त आवेदन जिलाधिकारी को देकर आरोपों की जांच होने तक प्रमुख व उप प्रमुख के कार्य संचालन पर रोक की मांग की है। प्रमुख विरोधी पंचायत समिति सदस्यों के द्वारा इस मामले को पटना उच्च न्यायालय जाने की भी प्रबल संभावना दिख रही है।
अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले पंससों के बैठक से गायब रहने के बाद धनबल की आशंका पर लगी मुहर
विदित हो कि प्रखंड प्रमुख के विरुद्ध पंचायत समिति सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के लिए बैठक बुलाए जाने का आवेदन बीडीओ राजेश कुमार राजन को दिया था। बीडीओ ने बताया कि मंगलवार को इसके लिए बैठक आयोजित की गई थी लेकिन इस बैठक में कुल तेईस पंचायत समिति सदस्यों में दस ही उपस्थित हुए थे। बाकी कोई भी पंचायत समिति सदस्य बैठक में नहीं पहुंचे। प्रमुख व उप प्रमुख पर लगे अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करने को लेकर निर्धारित तिथि के दिन अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन देने में शामिल सदस्य नहीं पहुंचे। जिससे प्रमुख व उप प्रमुख पर लगा अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया। बीडीओ राजेश कुमार राजन ने बताया कि बैठक के लिए निर्धारित समय 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक पंचायत समिति सदस्यों के आने का इंतज़ार करते रहे। उसके बाद उप प्रमुख पद पर अविश्वास प्रस्ताव के लिए निर्धारित समय 2 बजे से 3 बजे तक भी अविश्वास प्रस्ताव लगाने में शामिल पंचायत समिति सदस्य नही पहुंचे। जबकि इन दोनों पदों के विरुद्ध प्रखण्ड के कुल तेईस पंचायत समिति सदस्यों में से आठ सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आवेदन सौंपा था। निर्धारित समय पर अविश्वास प्रस्ताव लगाने वाले अनुपस्थित समिति सदस्यों के चर्चा में शामिल नही होने से अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया।
बिहार पंचायत राज अधिनियम की धाराओं के तहत होगी विधिसम्मत कार्रवाई
बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 46 की उपधारा 8 के अनुसार पंचायत समिति का कोई भी सदस्य पंचायत समिति की बैठक में विचारार्थ आए हुए ऐसे प्रश्नों पर मत नहीं देगा या उसके विमर्श में भाग नहीं लेगा यदि उस प्रश्न में जन साधारण के सामान्य प्रयोजन के अलावा उसका कोई प्रत्यक्ष आर्थिक हित या निजी हित निहित हो तथा अध्यक्षता करने वाले व्यक्ति का कोई हित निहित हो तो वह ऐसी बैठक की अध्यक्षता नहीं करेगा, जब वह विषय विचारार्थ रखा जाए। सभी पंचायत समिति की विशेष बैठक में शामिल हुए सभी पंचायत समिति सदस्यों क्रमश: पुष्प कुमार पासवान, शंभू कुमार, जयनन्दन सिंह, संगीता देवी, किरण देवी, कुमारी कल्पना शर्मा, मुन्नी कुमारी, सुनीता देवी, ब्रजेश कुमार एवं मीरा कुमारी ने संयुक्त रूप से डीएम को सौंपे गए हस्ताक्षरयुक्त आवेदन में कहा है कि आठ पंचायत समिति सदस्यों क्रमश: रणवीर कुमार यादव, अभिषेक कुमार, दिलीप कुमार, प्रियंका देवी, रंजू देवी, अमरेश कुमार सिंह, नूतन मिश्रा एवं विशेखा देवी ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित आवेदन कार्यपालक अधिकारी सह बीडीओ को देकर प्रमुख और उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था। इस प्रस्ताव के मद्देनजर मंगलवार को आयोजित विशेष बैठक में ये सभी सदस्य सदन से अनुपस्थित रहे। इससे स्पष्ट है कि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सभी सदस्य लोभ-लाभ के आधार पर ही सदन से अनुपस्थित रहे। इससे स्पष्ट है कि खरीद-फरोख्त के बल पर 13 पंसस को सदन में जाने से रोक दिया गया। यह कृत्य स्पष्ट भ्रष्टाचार को दर्शाता है। इस प्रकार उपरोक्त अधिनियम के उल्लंघन की खुद ब खुद पुष्टि हो जाती है।
साहेबपुरकमाल के प्रमुख विरोधी गुट ने पहले ही बिछा दी थी बिसात
प्रमुख विरोधी गुटों को पहले ही इस खेल का पता चल चुका था। तत्क्षण पंसस पुष्प कुमार पासवान की अगुआई में दस पंचायत समिति सदस्यों का हस्ताक्षरयुक्त आवेदन आयोजित विशेष बैठक से पहले ही डीएम को भेजकर भेजकर कार्रवाई की मांग की थी। आवेदन में प्रमुख की पक्षपातपूर्ण रवैया और मनमानी को सिलसिलेबार दर्शाया गया है। सदस्यों ने आवेदन में विभिन्न धाराओं का हवाला देकर सभी अनुपस्थित पंचायत समिति सदस्यों के आर्थिक लाभ की जांच होने तक प्रमुख-उप प्रमुख के कार्य संचालन पर रोक की मांग की है। यदि जांचोपरांत भ्रष्टाचार का आरोप साबित होता है तो पंचायत समिति सदस्यों की सदस्यता भी समाप्त हो सकती है। इसी तरह धारा 157 के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने हेतु आहूत विशेष बैठकों के संचालन के संबंध में जिला दंडाधिकारी की शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यदि जिला दंडाधिकारी की स्वप्रेरणा से अथवा किसी स्रोत से सूचना प्राप्त होने पर यह राय हो कि अविश्वास प्रस्ताव पर विचार करने के लिए किसी पंचायत की विशेष बैठक के संचालन से संबद्ध उपबंधों के मामलों में कोई अनियमितता या भूल की जा रही है, तो उसे ऐसा निदेश निर्गत करने की शक्ति होगी जो इस संबंध में अधिनियम के उपबंध के अनुपालन हेतु आवश्यक हो। वह ऐसी बैठक में उपस्थित रहने के लिए किसी पदाधिकारी को प्रतिनियुक्ति कर सकेगा और ऐसे पदाधिकारी से रिपोर्ट मांग सकेगा। जबकि विशेष बैठक के पूर्व ही 24 जनवरी को जिला दंडाधिकारी को दस पंचायत समिति सदस्यों के द्वारा लिखित सूचना दे दी गई थी, जिसका जिलाधिकारी ने ससमय संज्ञान नहीं लिया। अगर इस गंभीर मामले को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तो उक्त अधिनियम के आलोक में अविश्वास लगाने वाले सदस्यों की सदस्यता भी रद्द हो सकती है।
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Author: समाचार विचार
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