➡️पिछले 25 वर्षों से किसानों को आज तक सिंचाई के लिए नहीं मिला है एक बूंद जल
➡️अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाकर थक हार चुके हैं किसान

समाचार विचार/सौरभ सुमन/सुनील कुमार/साहेबपुरकमाल: सुशासन की कथित सरकार भले ही सूबे के किसानों की बेहतरी के चाहे लाख दावे कर ले लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां कर रही है। अन्नदाता किसानों को खेती में सहूलियत देने और उन्हें सबल बनाने की प्रचारित प्रसारित योजनाएं दम तोड़ती दिख रही है। इस ओर न तो अधिकारियों का कोई ध्यान है और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि गंभीर हैं। यही वजह है कि प्रखंड क्षेत्र में किसानों की सिंचाई के लिए सरकार द्वारा लगाये गये स्टेट बोरिंग भवन शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। जब हमने किसानों की इस समस्या की पड़ताल की, तो पता चला कि इस बोरिंग से आज तक कभी किसानों के खेतों में लगे फसलों की सिंचाई नहीं हो सकी है। परिणाम यह है कि वर्तमान समय में इस स्टेट बोरिंग के मशीनों व भवन की स्थिति जर्जर हो चुकी है। उचित देखरेख के अभाव में अज्ञात लोगों द्वारा मशीनों की चोरी कर ली गई है।
पिछले 25 वर्षों से किसानों को आज तक सिंचाई के लिए नहीं मिला है एक बूंद जल
स्थानीय लोगों के अनुसार, कागजी तौर पर तो यह स्टेट बोरिंग संचालित है। लेकिन, धरातल पर स्टेट बोरिंग खराब होकर बेकार पड़ा है। जिस कारण यहां के किसानों को सिंचाई करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन किसानों को अपने खेती में सिंचाई के लिए महंगे डीजल खरीद कर पटवन करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि स्थानीय किसानों ने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर सिंचाई से संबंधित अधिकारियों तक बंद पड़े इस स्टेट बोरिंग को चालू करने की गुहार लगा चुके हैं पर इस दिशा में सिंचाई विभाग उदासीन बना है। दरअसल, पंचवीर पंचायत के वार्ड संख्या-16 अंतर्गत रेलवे लाइन की उत्तरी छोड़ में स्थित सरकारी स्टेट बोरिंग पिछले 25 वर्षों से खराब रहने के कारण यहां के किसानों के अंदर मायूसी छा रही है। किसानों का कहना है कि पंचायत क्षेत्र में सरकारी स्टेट बोरिंग है। बावजूद कुव्यवस्था के कारण बंद पड़ा है। क्षेत्र के किसानों की मानें, तो इन बंद पड़े बोरिंग को चालू करने के लिए प्रशासनिक आला अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधियों तक फरियाद किया गया। किसी ने इस ओर ध्यान देने की जरूरत महसूस नहीं की। इस कारण यह स्टेट बोरिंग धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होते जा रहा है।

Author: समाचार विचार
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