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मरणासन्न मरीजों के लिए: धरती के भगवान साबित हुए विष्णु ट्रॉमा सेंटर के निदेशक सह आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. प्रवीण कुमार

  • सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से क्षत विक्षत हो गया था मरीजों का शरीर

  • प्रतिकूल परिस्थितियों से उबरने के बाद कृतज्ञ परिजनों ने चिकित्सकों का जताया आभार

मरणासन्न मरीजों के लिए
समाचार विचार/बेगूसराय: उत्तर बिहार की औद्योगिक राजधानी और मेडिकल हब के रूप में विख्यात बेगूसराय अब मरणासन्न मरीजों के लिए आशा की किरण बन कर सामने आ रही है। न केवल बेगूसराय बल्कि सीमावर्ती जिले के लोगों को बेगूसराय में अत्याधुनिक और समुचित चिकित्सकीय सुविधा मिलने से उन्हें अब पटना या दिल्ली जाने की जरूरत नहीं रह गई है। समुचित चिकित्सकीय सुविधाओं से लैस हॉस्पिटल्स की फेहरिस्त में शहर के सुभाष चौक स्थित विष्णु ट्रॉमा सेंटर का नाम भी शामिल है, जिसके निदेशक सह प्रख्यात आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. प्रवीण कुमार के नेतृत्व में मरीजों को न केवल जीवनदान मिल रहा है बल्कि निहायत ही निर्धन, असहाय और बेबस मरीजों के इलाज में आर्थिक बाधाएं भी आड़े नहीं आ रही है।

इन मरीजों के लिए धरती के भगवान साबित हुए विष्णु ट्रॉमा सेंटर के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार
दरअसल अयोध्या जाने के क्रम में एक सड़क दुर्घटना में कुछ लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे, जिनका प्राथमिक उपचार यूपी के सुल्तानपुर में किया गया था लेकिन मरीज के परिजनों ने सभी जख्मियों को बेहतर उपचार के लिए बेगूसराय के विष्णु ट्रॉमा सेंटर लेकर ही आना उचित समझा। उसी दुर्घटना में 65 वर्षीय एक महिला को 28 अप्रैल को सिर में गंभीर चोट लगी थी और पॉलीट्रॉमा हो गया था। महिला मरीज को आपातकालीन आधार पर विष्णु ट्रॉमा सेंटर बेगूसराय में भर्ती कराया गया। एक्स-रे में को दृश्य उपस्थित हुआ, वह काफी भयावह था। बाएं डिस्टल सिरे का फ्रैक्चर विस्थापित त्रिज्या फ्रैक्चर, बायीं फीमर सुप्रा कंडिलर फ्रैक्चर और फीमर फ्रैक्चर की उपेक्षित गर्दन मरीज के लिए काफी कष्टप्रद थी। डॉ. प्रवीण कुमार के द्वारा टाइटेनियम रेडियस टी प्लेट के साथ ओपन रिडक्शन और इंटरनल फिक्सेशन के रूप में कलाई की पहली सर्जरी की गई जबकि सुप्रा कंडीलर फीमर की दूसरी सर्जरी मरीज के दुरुस्त होने के बाद की जाएगी। उपचार के बाद रिश्तेदार खुश और बहुत संतुष्ट नजर आए तथा उन्होंने हॉस्पिटल मैनेजमेंट का आभार जताया।

मरणासन्न मरीजों के लिए

मरणासन्न मरीजों के लिए

दुर्घटनाग्रस्त आठ वर्षीय बच्चे को मिली नई जिंदगी तो हर्षित हुए परिजन
इसी तरह सड़क दुर्घटना में एक आठ वर्षीय लड़के को सिर में गंभीर चोट आई थी। उसके बायीं जांघ में दर्द और विकृति की भी शिकायत थी। 28 अप्रैल को ही उसे विष्णु ट्रॉमा सेंटर में आपातकालीन आधार पर भर्ती को किया गया था। प्रथम चरण में सिर की पहली चोट का इलाज परंपरागत तरीके से किया गया। एक्सरे में आरटी जांघ का निदान फीमर के समीपस्थ शाफ्ट के फ्रैक्चर के रूप में किया गया था। 30 अप्रैल को डॉ. प्रवीण और उनकी टीम द्वारा स्पाइनल एनेस्थीसिया के तहत टेन्स नेलिंग द्वारा समीपस्थ शाफ्ट फ्रैक्चर को करीब से कम किया गया। इसके बाद  परिचारक और मरीज के परिजन बहुत खुश और संतुष्ट थे।

एक बार फिर से डॉ. प्रवीण ने रीढ़ की हड्डी का किया सफल ऑपरेशन
उपरोक्त वर्णित मरीजों की तरह एक 24 साल की महिला को विष्णु ट्रॉमा सेंटर में आपातकालीन स्थिति में भर्ती किया गया, जिसमें महिला के निचले अंगों की शक्ति और संवेदी संवेदना के पूर्ण नुकसान की शिकायत थी, साथ ही पेशाब और मल को महसूस करने में असमर्थता (आंत और मूत्राशय के साथ हेमिप्लेगिया भी शामिल था) और गिरने से पीठ पर आघात का इतिहास था। एमआरआई रीढ़ की हड्डी में कॉर्ड संपीड़न के साथ डी 12 कशेरुका के वेज संपीड़न फ्रैक्चर का निदान किया गया। आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. प्रवीण के द्वारा आपातकालीन आधार पर रॉड फिक्सेशन के साथ D11-D12-L1 ट्रांसपेडिकुलर स्क्रू के साथ D12 कशेरुका की खुली कमी के साथ कॉर्ड का डीकंप्रेसन किया गया। पोस्ट ऑपरेटिव पीटी. स्थिर था और निचले अंग में संवेदना और गति फिर से आ गई थी। इस प्रकार एक बार फिर से डॉ. प्रवीण के द्वारा रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन किया गया, जिसके बाद मरीजों के कृतज्ञ परिजनों ने उनका आभार प्रकट किया।

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One Response

  1. बेगुसराई वासियों के लिए गर्व होने वाला क्षण है कि ऐसे प्रकृति पुत्र का सेवा मिल पा रहा है। डॉक्टर साहब की कार्य पद्धति को सलाम।

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