असमंजस: प्रखंड पंचायत समिति साहेबपुरकमाल पर उत्पन्न हुआ संवैधानिक संकट

🎯 उच्च न्यायालय के न्यायादेश के अनुसार वर्तमान में अवैध है प्रखंड प्रमुख और उपप्रमुख की कुर्सी 
🎯 प्रखंड के दस पंचायत समिति सदस्यों ने बीडीओ को आवेदन देकर की विशेष बैठक आयोजित करने की मांग
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समाचार विचार/साहेबपुरकमाल/बेगूसराय: साहेबपुरकमाल प्रखंड के पंचायत समिति सदस्यों के बीच गुटबंदी से बीडीओ राजेश कुमार राजन के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है। पद की लालसा के लिए व्यग्र जनप्रतिनिधियों के राजनीतिक उठापटक से विकास की रफ्तार धीमी होती दिख रही है। विदित हो कि 30 जनवरी को प्रमुख और उपप्रमुख के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और मतदान होना तय किया गया था लेकिन अविश्वास लगाने वाले एक भी पंसस सदन में उपस्थित ही नहीं हुए थे। विधि विशेषज्ञों ने इस तथ्य की पुष्टि की है कि अनुपस्थित पंचायत समिति सदस्यों में रणवीर कुमार यादव, अभिषेक कुमार, दिलीप कुमार, प्रियंका देवी, रंजू देवी, अमरेश कुमार सिंह, नूतन मिश्रा और विशेखा देवी के द्वारा बिहार पंचायत राज अधिनियम की धारा 46 उपधारा 8 के अंतर्गत अविश्वास प्रस्ताव की विशेष बैठक से अनुपस्थित रहकर उक्त अधिनियम का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया है, जो आर्थिक लाभ के लिए किए गए दुष्कृत्यों को प्रमाणित करता है।
न्यायालय के न्यायादेश के अनुसार वर्तमान में अवैध है प्रखंड प्रमुख और उपप्रमुख की कुर्सी 
माननीय पटना उच्च न्यायालय के CWJC NO. 20751/2018 के पृष्ठ 74 से 77 तक परिणाम संख्या 117 के न्यायादेश के अवलोकन से यह स्पष्ट होता है कि प्रखंड प्रमुख और उपप्रमुख ने अविश्वास प्रस्ताव की विशेष बैठक में अनुपस्थित होकर उक्त धारा का उल्लंघन किया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रखंड प्रमुख और उपप्रमुख जब अपने पद पर हैं ही नहीं तो संवैधानिक रूप से उन्हें बैठक बुलाने का कोई अधिकार ही नहीं है।
प्रखंड के दस पंचायत समिति सदस्यों ने बीडीओ को आवेदन देकर की विशेष बैठक आयोजित करने की मांग
प्रखंड विकास पदाधिकारी सह कार्यपालक पदाधिकारी राजेश कुमार राजन को शुक्रवार को सौंपे गए आवेदन में पंचायत समिति सदस्य पुष्प कुमार पासवान, शंभू कुमार, कुमारी कल्पना शर्मा, संगीता देवी, किरण देवी, मुन्नी कुमारी, सुनीता देवी, जयनंदन सिंह, मीरा कुमारी और ब्रजेश कुमार ने कहा है कि आपके पत्रांक 168 दिनांक 5/2/2024 के द्वारा अगर 16 फरवरी को सामान्य बैठक का आयोजन किया जाता है तो यह पटना उच्च न्यायालय के फैसले का अवमानना माना जाएगा इसलिए जनहित तथा त्रिस्तरीय पंचायत का विकास कार्य अवरुद्ध न हो, इसलिए 17 फरवरी को विशेष बैठक का आयोजन किया जाए। पंचायत समिति सदस्यों की गुटबंदी की वजह से एक तरफ जहां विकास कार्य प्रभावित होता दिख रहा है वहीं न्यायालय के आदेश के आलोक में बीडीओ के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
समाचार विचार ने पूर्व में ही खबर का प्रकाशन कर दिया था नियमावली का हवाला
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