➡️शराबबंदी कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से मांगा जवाब
➡️सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पुलिसिया मनमर्जी पर लगेगी रोक
समाचार विचार/बेगूसराय: बिहार में लागू शराबबंदी कानून के तहत अवैध शराब जप्ती के दौरान नगद राशि मिलने पर उसे भी जप्त कर लेने के प्रावधानों को मौलिक हितों के विरुद्ध बताते हुए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बिहार सरकार से जवाब तलब किया है। सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता आयुष आनंद द्वारा दायर याचिका में युवा अधिवक्ता सार्थक करोल एवं मोनू कुमार ने बताया कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिहार में पुलिसिया मनमर्जी पर रोक लग सकती है।
पीठ ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का दिया है आदेश
दरअसल मद्य निषेध कानून के तहत शराब के साथ जब्त होने वाली नगद राशि की कस्टडी कानून की धारा 60 के तहत आती है। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद इसमें सुधार की गुंजाइश बढ़ गई है। याचिका में इसे निरंकुश प्रावधान बताते हुए पर पीठ से संज्ञान लेने की अपील की गई। इस पर संज्ञान लेते हुये न्यायधीश बिक्रमनाथ और न्यायाधीश प्रसन्ना वी वरले की पीठ ने बिहार सरकार से उपरोक्त विषय पर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
वर्ष 2016 से बिहार में लागू है शराबबंदी
दरअसल बेगूसराय के युवा अधिवक्ता मोनू कुमार ने पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए बताया कि पटना उच्च न्यायालय से कस्टडी के लिए आए एक फैसले के विरुद्ध यह याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की गई। हमने याचिका में बिहार में चल रहे पुलिसिया अन्याय और कानून के दुरुपयोग पर सवाल किए हैं।जिसके उपरांत पहली बार सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से जवाब मांगा है। उम्मीद है कि कानून की विसंगति पर सरकार अपना रुख स्पष्ट करेगी। गौरतलब है कि बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है। इस कानून की आड़ में कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जिसमें शराब के साथ पकड़ में आने वाले शख्स या उसके परिसर से नकदी भी जप्त कर ली जाती है। इसे ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और सर्वोच्च न्यायालय ने बिहार सरकार से पूरे मामले में चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है।
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Author: समाचार विचार
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