जरूरी है सख्ती: बेगूसराय में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना में पलीता लगा रहे हैं “धरती के भगवान”
समाचार विचार
➡️ गरीबों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है धनलोलुप डॉक्टर्स के द्वारा सामान्य चिकित्सा को नजरअंदाज करना
➡️जोर शोर से उठने लगी है नियामक निकाय के द्वारा हस्तक्षेप करने की मांग
समाचार विचार/बेगूसराय:केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना को अधिक से अधिक लाभार्थियों तक पहुंचाने के लिए जिले में तीन दिवसीय विशेष अभियान चलाया जा रहा है। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिले से लेकर प्रखंड स्तर तक के पदाधिकारी एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं, लेकिन जिस योजना का उद्देश्य देश के करोड़ों गरीब और कमजोर परिवारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना है, वह अपने क्रियान्वयन में कुछ गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। लाभार्थियों का आरोप है कि कुछ अस्पताल (अधिकांशतः) सामान्य चिकित्सा (जनरल मेडिसिन) के इलाज को कवर करने से इनकार कर रहे हैं, जबकि यह योजना के तहत स्पष्ट रूप से शामिल है। इसके बजाय, अस्पताल अक्सर केवल सर्जरी वाले मामलों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे जरूरतमंद मरीजों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है। इस स्थिति में हस्तक्षेप बहुत जरूरी है
गरीबों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है धनलोलुप डॉक्टर्स के द्वारा सामान्य चिकित्सा को नजरअंदाज करना
योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना में न केवल सर्जिकल प्रक्रियाएं बल्कि सामान्य चिकित्सा के तहत आने वाली बीमारियों का इलाज भी शामिल है, जिसमें दवा और अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। हालांकि, जमीनी स्तर पर कई लाभार्थियों को कड़वे अनुभव हो रहे हैं। शहर के एक धनलोलुप धरती के भगवान के यहां इलाजरत एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब सरकार कह रही है कि जनरल मेडिसिन भी कवर है, तो अस्पताल इसे क्यों मना कर रहे हैं? ऐसा लगता है कि वे एक साथ मोटी रकम कमाने के लिए केवल सर्जरी कवर करते हैं। जनरल मेडिसिन में मरीज को एडमिट कर दवा की जरूरत होती है, जिसमें खर्च ज्यादा होता है, उसका कवर नहीं करते, जो बिल्कुल गलत है। अस्पतालों का तर्क और मरीजों की पीड़ा आमतौर पर, अस्पतालों द्वारा सामान्य चिकित्सा को कवर न करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया जाता, लेकिन कई लोगों का मानना है कि इसमें अधिक दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना, दवाइयों का खर्च और डॉक्टरों की फीस शामिल होती है, जिससे उन्हें “मोटी रकम” तुरंत नहीं मिलती, जैसा कि सर्जरी के मामलों में होता है। एक वरिष्ठ नागरिक, जो पिछले महीने पेट दर्द के इलाज के लिए एक निजी अस्पताल गए थे, ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि आयुष्मान भारत कार्ड से मेरा इलाज हो जाएगा। लेकिन अस्पताल ने कहा कि यह सिर्फ सर्जरी के लिए है और मुझे सामान्य चिकित्सा के लिए नकद भुगतान करना होगा। मेरे पास इतने पैसे नहीं थे और मुझे सरकारी अस्पताल जाना पड़ा, जहां पहले से ही भारी भीड़ थी। अब सवाल उठता है कि आखिर गरीब आदमी कहाँ जाए? यह स्थिति उन गरीब परिवारों के लिए एक गंभीर संकट पैदा करती है, जो स्वास्थ्य संबंधी आपात स्थितियों के दौरान आयुष्मान भारत योजना पर निर्भर हैं। जब उन्हें सामान्य बीमारियों के लिए भी निजी अस्पतालों में इलाज नहीं मिलता, तो उनके पास सरकारी अस्पतालों की लंबी कतारों में लगने या कर्ज लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
जोर शोर से उठने लगी है नियामक निकाय के द्वारा हस्तक्षेप करने की मांग
इस स्थिति में यह आवश्यक है कि सरकार और संबंधित नियामक निकाय इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करें। इस दिशा में जोर शोर से मांग भी उठने लगी है। योजना के तहत सभी प्रकार के उपचारों को समान रूप से कवर किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए और उन अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो मनमाने ढंग से कवरेज से इनकार कर रहे हैं। योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब से गरीब व्यक्ति को भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है और यदि सामान्य चिकित्सा ही कवर नहीं की जाती है, तो यह उद्देश्य अधूरा रह जाएगा। इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि आयुष्मान भारत योजना अपने वास्तविक लक्ष्य को प्राप्त कर सके और देश का कोई भी गरीब व्यक्ति इलाज से वंचित न रह सके।