➡️बरौनी ड्योढी के वार्ड संख्या 13 के मूल निवासी दिव्यांशु शांडिल्य ने यूपीएससी एग्जाम में लाया 1008 रैंक
➡️सेवानिवृत आईजी लक्ष्मण सिंह और पूर्व प्रोफेसर लक्ष्मी सिंह के सुपुत्र की उपलब्धि से गौरवान्वित है बेगूसराय

समाचार विचार/बेगूसराय: बेगूसराय के लाल दिव्यांशु शांडिल्य ने यूपीएससी एग्जाम में 1008वां रैंक लाकर न केवल जिला बल्कि सूबे बिहार और देश का नाम रौशन किया है। बरौनी ड्योढी वार्ड संख्या 13 के मूल निवासी दिव्यांशु अवकाश प्राप्त आईजी लक्ष्मण सिंह और कॉलेज ऑफ कॉमर्स की पूर्व प्रोफेसर लक्ष्मी सिंह के सुपुत्र हैं। दिव्यांशु चार भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बहन डॉ. रिमझिम, बहनोई डॉ. उज्जवल, बहन चारु प्रिया और बहनोई जॉइंट कमिश्नर इनकम टैक्स विजय कुमार, छोटी बहन पूजा और आईपीएस बहनोई इंद्रजीत महथा ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है। दिव्यांशु के पिता बीजेपी से दो बार के विधायक प्रत्याशी भी रह चुके हैं और झारखंड में बाबूलाल मरांडी के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। दिव्यांशु के चचेरे भाई और तेघड़ा के जिला परिषद सदस्य बरौनी गांव निवासी प्रवीण शेखर ने अपने भाई की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए उन्हें ढेरों आशीर्वाद दिया है। श्री शेखर ने बताया कि दिव्यांशु बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि का छात्र था और आज उसने हम सबों को गौरवान्वित कर दिया है। दिव्यांशु शांडिल्य 2017 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कैलिफोर्निया अमेरिका से की। 2017 में दिल्ली जाकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की और पहले प्रयास में यूपीएससी का प्रीलिम पेपर क्लियर कर लिया।
दो साल तक मेमोरी और एनर्जी लॉस रहने के बावजूद दिव्यांशु ने लहराया सफलता का परचम
दिव्यांशु भले ही सर्व साधन संपन्न परिवार से ताल्लुकात रखते हों, लेकिन उनकी जिजीविषा अनुकरणीय और प्रेरक है। वर्ष 2019 में वे अमेरिका में रहने वाले अपने दोस्त को एयरपोर्ट से छोड़कर वापस लौट रहे थे। इसी दौरान वे भीषण सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए थे। हादसा इतना वीभत्स था कि दिव्यांशु का हेलमेट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। शरीर पूरी तरह से खून से लथपथ हो गया था। ऐन वक्त पर वहां से गुजर रही दो अनजान सगी बहनों ने दिव्यांशु को अस्पताल में एडमिट कराया और उनके परिजनों को जानकारी दी। इलाज के दौरान उन्हें दिल्ली के वेदांता हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया था। वे लगभग 15 दिनों तक कोमा में रहे थे। लगभग 2 साल के लगातार इलाज के बाद उनकी स्थिति सामान्य हुई थी। इस बीच उनका मेमोरी और एनर्जी पूरी तरह से लॉस हो चुका था। इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भी उन्होंने 2021-22 के बाद पढ़ाई शुरू किया और सेल्फ स्टडी के माध्यम से यूपीएससी में एक अच्छा स्थान प्राप्त किया। दिव्यांशु अपने गांव से यूपीएससी में चयन होने वाले पहले व्यक्ति , जिन्होंने मात्र 30 साल की उम्र में यह मुकाम हासिल किया है। बरौनी 1 पंचायत मुखिया पंकज कुमार ( राधे राधे जी) ने अपने पंचायत की तरफ से दिव्यांशु शांडिल्य को इस सफलता के लिए बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं दी है।
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Author: समाचार विचार
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