लाजिमी है विरोध: बेगूसराय पुलिस कप्तान के प्रेस नोट पर अब उठने लगे हैं सवाल

➡️अधीनस्थों की जी हुजूरी से संविधान प्रदत्त नैसर्गिक न्याय पर मंडराने लगे हैं खतरे के बादल

➡️खुद के द्वारा स्थल निरीक्षण नहीं किए जाने के बावजूद बेतुके और अनर्गल विज्ञप्तियों पर अविलंब संज्ञान ले सक्षम न्यायालय

समाचार विचार/बेगूसराय: आप पुलिस अधीक्षक के पद पर विराजमान हैं तो खुद को सृष्टि के स्रष्टा और रचयिता का दंभ भरने से परहेज करें। जिलेवासियों के नैसर्गिक न्याय को आघातों प्रतिघातों से अक्षुण्ण रखने के उद्देश्य से अगर आपको देहरादून में प्रशिक्षण के उपरांत यहां पदस्थापित किया गया है तो अपने शपथ का पुनरावलोकन करें आप। अपने अधीनस्थों की दैनंदिन अनैतिक कारगुजारियों को देखने समझने के बावजूद भी अगर आपकी जड़ता सार्वजनिक रूप से हास्यास्पद बनती जा रही है तो आपको स्वेच्छाचारिता की जगह समीक्षा करने की जरूरत है। दिनकर की साहित्यिक और श्री कृष्ण बाबू की औद्योगिक भूमि ने न जाने आप जैसे कितने आईपीएस को इस धरा पर लोकप्रियता के सोपान पर पहुंचाया है और न जाने कितनों को संवैधानिक रूप से अस्पृश्य करार दिया है। भले ही सोशल मीडिया के एक लोकप्रिय प्लेटफार्म फेसबुक पर आपने जिन वर्दीधारियों की टीम की उंगलियों को कीबोर्ड पर थिरकाने की आजादी दे रखी हो लेकिन इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आपकी सहमति से उनके द्वारा आपके पक्ष में किए जा रहे सार्वजनिक प्रस्तुतिकरण ने आपकी व्यक्तिगत प्रशासनिक योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाना शुरू कर दिया है। आइए! साहब आपको सप्रमाण आपकी नाकामी को छुपाने के उद्देश्य से जारी की गई मात्र दो प्रेस नोट का जीवंत तस्वीर प्रस्तुत कर रहा हूं। हालांकि, इस फेहरिस्त में कई वाकये जमींदोज हो चुके हैं, फिर भी ये उदाहरण आपकी फजीहत के लिए काफी हैं।

यह वीडियो चीख चीख कर कह रही है पुलिसिया दमन की कहानी

पहले चेरियाबरियारपुर पुलिस की करतूत और फिर अपने प्रेस नोट का बारीकी से अध्ययन करें आप
आज ही आपके डीजीपी भट्टी साहब ने बिहार को अलविदा कहा है और आपके नियंत्राधीन बेगूसराय जिले में बढ़ते अपराध के बीच अपराधियों के सामने बौने बनी रहने वाली आपकी प्रिय पुलिस ने अपने वर्दी के रौब में निहत्थे लोगों पर जुल्म ढाने को अपना शान समझने लगी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अगर यही राजद की सरकार होती तो घटनास्थल पर जाकर वस्तुस्थिति को समझती और फिर विधिसम्मत कार्रवाई करती लेकिन ऐसी पाश्विकता और अनैतिक आचरण के प्रकाश में आने के बाद भी सत्तासीन लोगों की चुप्पी घातक है। ऐसा ही मामला बेगूसराय के चेरियाबरियारपुर थाने से आया है, जहां राजद के प्रधान महासचिव व चेरिया बरियारपुर थाना क्षेत्र के खजहांपुर वार्ड – 8 गाँव निवासी  रामशाखा महतो ने पुलिस पर बड़ा ही गंभीर आरोप लगाया है। राजद नेता पुलिस के द्वारा की गई निर्मम पिटाई करने के बाद पिछले 24 घंटे से सदर अस्पताल बेगूसराय में पत्नी रानी देवी, भाभी सुनीता देवी और पुत्र निशान कुमार के साथ ईलाजरत हैं। अदालत की दहलीज तक आपकी पुलिस को घसीटने के लिए पीड़ित का वीडियो भी इसी खबर में संलग्न है, जिसे न्याय संहिता ने पर्याप्त साक्ष्य के रूप में विधिक मान्यता भी दी है। आरोप के अनुसार मामूली विवाद में महिला और पुरुष पुलिस कर्मियों ने मिलकर दो महिला समेत एक 14 वर्षीय बालक को थाने में लाकर जमकर पिटाई की। इतना ही नहीं इस पिटाई में महिला के प्राइवेट पार्ट पर भी लाठी, डंडे और लात से भी जुल्म ढाया गये। आप थाना परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज के साथ छेड़छाड़ करवा सकते हैं किंतु आम लोगों के मोबाइल की गैलरी में कैद पाश्विकता और अमानवीयता के वीडियो को दफन नहीं कर सकते हैं साहब! बकौल पीड़ित, महिला और युवक का कुसूर सिर्फ इतना था कि उन लोगों ने गलत तरीके से गिरफ्तारी पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी।

अदालत में जब चलेगा अमानवीयता का वीडियो तो जरूर होगी विधिसम्मत कार्रवाई
जब इस संबंध में राजद नेता की पत्नी रानी देवी से बेगूसराय सदर अस्पताल में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि थानाध्यक्ष रौली कुमारी ने थाना के ऊपर मुझे और मेरी गोतनी को ऊपर ले गई और दोनों के साथ मारपीट करने लगी। मैं बीमार थी और दया की भीख भी मांगी। मैंने बताया भी कि मैं हेपेटाइटिस की बीमारी से पीड़ित हूं, साथ ही हार्ट की बीमारी भी है और मेरा ऑपरेशन भी हाल में हुआ है। लेकिन जल्लाद की तरह थानाध्यक्ष रौली कुमारी, नमन और गोविंदम ने डंडे, लात से मेरी निर्मम तरीके से पिटाई की। साथ ही मेरे प्राइवेट पार्ट में भी लात, घुसे और डंडे से दोनों पुलिस ने मिलकर मारा। जब अपने पुत्र को पीटते हुए देखकर रामसखा महतो की पत्नी रानी देवी और उसकी भाभी सुनीता देवी ने उन लोगों का विरोध किया तो पुलिस ने मेरे पुत्र को गाड़ी में जबरन थाना लेकर चल दिया। उसके बाद मेरी पत्नी और भाभी दोनों उसके साथ गाड़ी में जाकर बैठ गई। पत्नी और भाभी को गाड़ी में बैठे हुए देखकर पुलिस ने पूछा कि तुम दोनों क्यों बैठी हो, तो उन लोगों ने कहा कि मेरे पुत्र का क्या कसूर है, जो इसे  पकड़कर थाने पर ले जा रहे हैं। जब तक उसे छोड़िएगा नहीं, हम दोनों नहीं गाड़ी से उतरेंगे। उसके बाद चेरिया बरियारपुर की पुलिस ने मुझे भी थाना लेकर चल दिए और रास्ते में हम दोनों गोतनी के साथ गाली गलौज मारपीट करते हुए थाना लाया। गौरतलब हो कि ये दृश्य विभिन्न मोबाइल में कैद हो गए हैं। राजद नेता रामसखा महतो की पत्नी ने पूछने पर बताया कि मुझे और मेरी गोतनी दोनों को थाना अध्यक्ष ने सीसीटीवी कैमरे से अलग थाना के ऊपर ले गए और दोनों के साथ गाली गलौज के साथ मारपीट थानाध्यक्ष रौली कुमारी करने लगी। राजद नेता के नवालिक पुत्र निशांत कुमार ने भी चेरियाबरियारपुर थानाध्यक्ष रौली कुमारी व थाना के अन्य पुलिसकर्मी में राजाराम सिंह, नरेश सिंह, धीरज कुमार, दिनेश सिंह ,नमन, गोविंदा और पुलिस गाड़ी के चालक ललन और थाने की पुलिस प्रियंका पर भी गाली गलौज साथ मारपीट करने का आरोप लगाया है। राजद नेता रामसखा महतो की भाभी सुनीता देवी ने बताया कि हम दोनों गोतनी को थाना के छत के ऊपर थानाध्यक्ष रौली कुमारी ले गए। उसके बाद थानाध्यक्ष अपनी लाठी और लात घुसे से पिटाई मुझे भी की, साथ ही थाने की अन्य पुलिस पुष्पा झा और अन्य महिला सिपाही से भी हम लोगों को पिटवाई। इस घटना में गंभीर रूप से घायल राजद नेता रामसखा महतो की पत्नी रानी देवी, नाबालिक पुत्र निशांत और भाभी सुनीता देवी का ईलाज अभी सदर अस्पताल बेगूसराय में 27 अगस्त की शाम से चल रहा है, जहां सबसे अधिक खराब स्थिति राजद नेता रामसखा महतो की पत्नी रानी देवी की बनी हुई है। इस घटना को लेकर राजद नेता ने फैक्स के द्वारा आवेदन भेज कर और ईमेल के द्वारा वीडियो भेजकर सीएम नीतीश कुमार और बिहार के डीजीपी आरएस भट्टी से चेरियाबरियारपुर की थानाध्यक्ष और अन्य पुलिस कर्मियों पर जांच कर कार्रवाई करने की मांग की है।
बेगूसराय पुलिस कप्तान के प्रेस नोट पर अब उठने लगे हैं सवाल
चेरियाबरियारपुर की घटना को लेकर एसपी मनीष ने डीएसपी से जब जांच करवाई तो उसको आधार बनाकर एसपी मनीष ने अपने प्रेस नोट के माध्यम से यह बताया कि कई न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया पर दिखाई जा रही खबर को गलत पाया गया है। अरे महाराज, जब वीडियो चीख चीख कर आपके अधीनस्थों की कारगुजारियों की हकीकत दर्शा रही है तो फिर एक सिरे से पूरे घटनाक्रम को नकार देना किस ओर इंगित करता है। सोशल मीडिया की विश्वसनीयता को थोड़ी देर के लिए अगर दरकिनार भी कर दें तो न्यूज चैनलों में खबरों का प्रसारण संभालने वाले लोग थोड़े ही माननीय न्यायालय से बाहर हैं? चलिए, आइए आपके एक प्रेस नोट पर हम फिर सवाल खड़ा कर रहे हैं।

आपकी पुलिस की वजह से ही तकरीबन एक हजार बच्चों के पठन पाठन पर मंडराए थे संकट के बादल

जी एसपी साहब! साहेबपुरकमाल थाना क्षेत्र के समस्तीपुर गांव स्थित बिहार सरकार के शिक्षा विभाग से प्रस्वीकृत विद्यालय एंग्लो इंडियन पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत तकरीबन एक हजार बच्चों के पठन पाठन पर जब संकट के बादल मंडराए थे तो इसकी असली गुनाहगार भी आपकी ही पुलिस थी। विद्यालय के मेन गेट को जेसीबी से खोद दिया गया था, बेखौफ बदमाश रात भर उत्पात मचाते रहे थे। सूचना के बाद भी आपकी संभावित राष्ट्रपति पुरस्कृत पुलिस स्पॉट पर नहीं पहुंची थी। बच्चे रात भर बिलखते रहे, अगले सुबह उन बच्चों की तो बात ही छोड़िए, वयस्क लोग भी उस रास्ते से निकल नहीं सकते थे। और, उस प्रतिकूल परिस्थिति में जब न्यूज चैनलों ने यह खबर प्रसारित किया कि बच्चे बंधक बने हुए हैं तो आपने ही अपने प्रेस नोट में इन्ही बुड़बक अधीनस्थों के जांच प्रतिवेदन के आधार पर कहा था कि बच्चों के बंधक बनाने की प्रकाशित प्रसारित खबर गलत है। आप ये बताएं कि बंधक का पैमाना क्या होता है? विद्यालय के मुख्य द्वार से मासूम बच्चे बाहर नहीं निकल सकते थे, मुख्य द्वार पर बदमाशों ने तालाबंदी कर रखी थी फिर भी वे आपकी नजरों में बंधक नहीं थे। हालांकि अब ये मामला न्यायालय में विचाराधीन है और विद्यालय के संचालन में अब दूर दूर तक कोई किंतु परंतु नहीं रह गया है लेकिन आम जनमानस के नजर में आपकी पुलिस की क्या इज्जत रह गई है, इसकी स्व समीक्षा कीजिएगा। कभी प्राकृतिक रूप से समृद्ध किंतु हथियारबंद अंगरक्षकों से दूरी बनाकर अपने बंगला से बाहर निकल कर देखिए। फाइल और रियल जिंदगी की दूरियों से अचंभित रह जाएंगे आप साहेब!

खुद के द्वारा स्थल निरीक्षण नहीं किए जाने के बावजूद बेतुके और अनर्गल विज्ञप्तियों पर अविलंब संज्ञान ले सक्षम न्यायालय
जिन न्यूज चैनलों के द्वारा प्रसारित खबरों को आप मिथ्या करार दे रहे हैं, अगर वही न्यूज चैनल आपके अधीनस्थों के कुकृत्यों प्रमाणिक रूप से सार्वजनिक करना शुरू कर दे तो क्या आप उसे रोक सकेंगे? आपकी प्राथमिकता में यह शामिल है कि जब जिला में नरसंहार होगा तभी आप स्थलीय निरीक्षण करेंगे तो कोई बात नहीं। जिला मुख्यालय में रहने के बावजूद क्या आप अस्पताल में भर्ती मरणासन्न मरीजों से मिलने नहीं जा सकते थे क्या? आप क्रॉस चेकिंग नहीं कर सकते थे क्या? लेकिन, आप नहीं करेंगे, क्योंकि यहां आपका अहंकार तिरोहित हो जाएगा। छोटी छोटी चीजें कब व्यापक रूप धारण कर ले, इसके लिए पूर्व नियोजित तैयारी की आवश्यकता होती है। किसी भी अनर्गल और बेतुके प्रेस नोट जारी करने से पहले उसकी समीक्षा जरूरी है। हालांकि स्वेक्षाचारिता पर तो बंदिश नहीं लगाया जा सकता है न! अगर आपने बेगूसराय पुलिस के फेसबुक पेज के माध्यम से प्रेस नोट जारी करने का तंत्र विकसित किया है तो खुद स्थलीय निरीक्षण के उपरांत ही प्रेस नोट डालने की स्वीकृति प्रदान करें अन्यथा माननीय न्यायालय तक पहुंचने के लिए हर कोई स्वतंत्र है।
लाजिमी है विरोध

Begusarai Locals

🎯आखिरकार बेगूसराय पहुंच ही गई एनआईए की टीम

 

 

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