एक नजर इधर भी: बेगूसराय नहीं बल्कि बरौनी प्रमंडल के नामकरण पर बने सहमति

  • बेगूसराय

🎯अगर शीर्षक से चौंके होंगे आप तो वजह भी जान लीजिए

🎯हालांकि सचिवालय से कार्रवाई हेतु आगे बढ़ चुका है प्रमंडल बनाने का मामला

एक नजर इधर भी

समाचार विचार/बेगूसरायसोशल मीडिया अब लगभग वयस्क हो चुका है इसलिए यहां लोगों ने अपनी समझदारी से अपना पक्ष चुन लिया है और अपनी राय बना ली है। कम से कम उनसे कोई उम्मीद नहीं रखी जा सकती है, जिन्होंने घोषित तौर पर अपना पक्ष पहले ही तय कर चुके हैं। इंडिक कीबोर्ड के पहले की लंबी बहसों में एक उम्मीद होती थी कि अपनी बात समझाई जा सकती है। अब यह उम्मीद सोशल मीडिया से नहीं है। हाँ यहाँ मुद्दे हैं लेकिन उन्हें किसी पत्रिका या वेबसाइट पर लिखकर या किसी सभा में अपना पक्ष रखकर बताया जा सकता है। बेगूसराय को प्रमंडल बनाने की दिशा में जो समवेत प्रयास हो रहे हैं, वह वाकई काबिलेतारिफ हैं लेकिन कुछ ऐसे भी पक्ष हैं, जिन्हें एक सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है। उन्हीं पक्षों की ओर सुधि पाठकों का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए इस आलेख के लेखक वागीश आनंद बेगूसराय में किसी परिचय के मोहताज नहीं है। संप्रति श्री आनंद वर्तमान में कल्याण केंद्र के उपाध्यक्ष और स्वतंत्र रचनाकार हैं। साहित्यनुरागी और सामाजिक विषयों विमर्शों में बढ़ चढ़कर भाग लेने वाले श्री आनंद ने बेगूसराय को प्रमंडल बनाने का जोरदार समर्थन तो जरूर किया है लेकिन उन्होंने तथ्यों का हवाला देकर बेगूसराय की जगह बरौनी प्रमंडल के नामकरण की वकालत की है। आप भी पढ़िए……..
अगर शीर्षक से चौंके होंगे आप तो वजह भी जान लीजिए
वागीश आनंद कहते हैं कि बेगूसराय के सभी सातों विधानसभा के विधायकों, जिले के सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं और प्रबुद्ध जनों को एक साथ- एक मंच पर देखकर दिल बाग बाग हो उठा है। एक स्वर में सभी का समवेत प्रयास अगर रंग लाए तो जनांक्षाओं की पूर्ति तो जरूर होगी लेकिन बेगूसराय जिले के प्रमंडल निर्माण से पहले कुछ वांछित प्रश्न दिमाग में कौंध रहे हैं, उस ओर जिले के प्रबुद्ध जनों का ध्यान आकृष्ट कराने की कोशिश कर रहा हूं। यह बिलकुल मुनासिब और जायज सवाल है कि हम बेगूसराय के साथ हो रहे अन्याय और उपेक्षा की बात करते नहीं थकते हैं। लेकिन जरा सोचिए, अगर बेगूसराय प्रमंडल बनता है तो क्या ये बरौनी के साथ अन्याय नहीं होगा ? बिहार की औद्योगिक राजधानी के रूप में बेगूसराय को लिखा, पढ़ा और बोला जाता है लेकिन सच्चाई तो यह है कि सारे बड़े कल कारखाने बरौनी प्रखंड में ही स्थापित हैं। चाहे फर्टिलाइजर हो या रिफाइनरी, चाहे थर्मल प्लांट हो या गढहारा यार्ड। नवजात पेप्सी प्लान्ट भी तो बरौनी प्रखंड की कोख में ही जन्म लिया है। मेडिकल कॉलेज के निर्माण के लिए भी बरौनी प्रखंड की ही जमीन तलाशी गई। नवीनतम नीफ्ट विस्तारित केन्द्र भी तो बरौनी के ही परिसर में ही स्थापित की गई है तो फिर बेगूसराय को प्रमंडल का नामकरण करने वालों को बरौनी के नाम से परहेज क्यों है? इस सवाल ने अब बरौनी वासियों को उद्वेलित करना शुरू कर दिया है। हमें बेगूसराय को प्रमंडल बनाने की दिशा में किए जा रहे सार्थक प्रयासों से रत्ती भर भी आपत्ति नहीं है लेकिन गजट में बरौनी प्रमंडल का नामकरण हो तो औद्योगिक राजधानी की कर्मस्थली गौरवान्वित जरूर होगी।

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मौजूं हालात में तथ्यपूर्ण मुद्दों पर जरूरी है प्रबुद्धजनों की एकजुटता 
आप जरा बताएं कि प्रमंडल बनने के उपरांत बेगूसराय शहर में कमिश्नरी कार्यालय से लेकर आवास हेतु उपयुक्त जगह कहां है ? फिर विश्वविद्यालय का भी प्रश्न आएगा ? नीति नियंताओं के लिए शहरी मुख्यालय में उतनी खाली जगह-जमीन उपलब्ध करवाना टेढी खीर साबित होगी ? लेकिन बरौनी के पास जीरोमाइल से उत्तर जमीन को अधिग्रहण कर हम सारी सुविधा मुहैया उपलब्ध करा सकते हैं, जो संकीर्ण बेगूसराय शहर में मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है। आवागमन की सुगमता के के ख्याल से भी देखें तो बगल में मेन लाइन वाली बरौनी जंक्शन, जीरोमाइल ( जहां दो दो राष्ट्रीय उच्च पथ का मिलन ), दिनकर ग्राम सिमरिया से नजदीकी तथा सभी कल – कारखाने से समीपता। सबसे बडी बात, बेगूसराय का उदासीन क्षेत्र भी विकसित होगा। तभी हम सर्वांगीण व समावेशी विकास के सपनों को सच कर पाएंगे। उपरोक्त तथ्यपूर्ण बिंदुओं के अलावा यह भी विचारणीय है कि जिला के ही नाम से प्रमंडल बने, यह तो जरूरी नहीं। तिरहुत कौन जिला है भाई साहब, कोशी नाम का कोई जिला हमने आज तक नहीं सुना। मगध की पावन धरती मशहूर है मगर मगध जिला नहीं है तो बरौनी के नाम पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए। सबसे बडी बात होमवर्क की। घर बनाने से पहले नक्शा बनाना पडता है साहब जी। क्या हर्ज है कि सभी माननीय बुद्धिजीवियो के साथ मिल बैठकर जगह – जमीन के खाके के साथ आगामी प्रश्नो के संभावित उतर के साथ प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया जाए तथा प्रमंडल के फायदे से आमजन को रूबरू करवाऐ, तब जाकर सफलता करीब आएगी। वैसे छोटी मुंह – बडी बात के लिए सभी बड़ों से माफी लेकिन बेगूसराय को अव्वल बनाने में आप सभी मिलकर आगे बढ़ें, यही शुभकामना है।

प्रशस्त हुआ मार्ग: सचिवालय से कार्रवाई हेतु आगे बढ़ चुका है प्रमंडल बनाने का मामला
बेगूसराय को प्रमंडल बनाने की मांग अब बिहार के मुख्यमंत्री सचिवालय से कार्रवाई के लिए आगे बढ़ चुकी है। उच्च स्तरीय कमेटी गठित हो चुका है। कमिटी में प्रमुख एसीएस, प्रधान सचिव तथा सचिव मंत्रिमंडल सचिवालय बिहार सरकार मुख्यमंत्री को अधीनस्थ सचिव ने पत्र लिखकर कहा है कि बेगूसराय को प्रमंडल बनाने के लिए जांच कर कार्रवाई की जाए। ज्ञातव्य हो कि प्रमंडल बनाओ अभियान समिति की मेहनत अब रंग लाने लगी है। बेगूसराय जिला के बाद खगड़िया जिला का समर्थन भी प्राप्त हुआ है। साथ ही बेगूसराय के सभी विधायक ने मुख्यमंत्री से मिलकर पिछले दिनों मांग किया था कि बेगूसराय जिला को प्रमंडल बनाया जाए। इस दिशा में 2021 में विधायक मटिहानी राजकुमार सिंह ने विधानसभा में बेगूसराय को प्रमंडल बनाने का मांग रखा था। तत्पश्चात 2024 में बेगूसराय विधायक कुंदन सिंह ने बेगूसराय को प्रमंडल बनाने की मांग को विधानसभा पटल पर रखा। वहीं उर्मिला ठाकुर ने भी विधान परिषद में बेगूसराय को प्रमंडल बनाने की मांग किया। सरकार से प्राप्त उत्तर के जवाब में प्रमंडल बनाओ अभियान समिति ने जिलाधिकारी के माध्यम से प्रमंडल आयुक्त को मांग पत्र भेजा। फिर प्रमंडलीय आयुक्त के पास एक प्रतिनिधि मंडल ने मिलकर मांग किया कि बेगूसराय जिला को प्रमंडल बनाया जाए और अब मुख्यमंत्री के स्तर से मांग बढ़ चुका है। उम्मीद है कि जनता के सहयोग से बेगूसराय नया इतिहास रचेगा तथा बेगूसराय प्रमंडल जरूर बनेगा।

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4 Responses

  1. सबसे बड़ी हमारे जिले की शिक्षा और स्वास्थ्य इन चीजों में हम बहुत पिछड़े हुए हैं क्योंकि जितनी आबादी हमारे बेगूसराय जिले की है उस हिसाब से हमारे जिले में नहीं महाविद्यालय है और विश्वविद्यालय का जो भी कार्य होता है उसमें हम बहुत लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ता है हमु बता दें हमारे जिले के राजस्व सबसे ज्यादा अगर आती है वह आती है कल कारखाने से और कल कारखानों में जितने भी वर्कर काम करने वाले हैं वह बाहर के सबसे ज्यादा लेकिन इस कल कारखानों से जितना भी प्रदूषण होता है वह तो हम जिला वासियों के लिए हानिकारक होता है लेकिन उन युवाओं युवकों के लिए क्या रोजगार की व्यवस्था हमारे राजनीतिक प्रतिनिधि या हमारे प्रशासनिक डीएम साहब के द्वारा किया गया है नहीं तो हम आप सभी इस बिंदु से अवगत करना चाहते हैं जो भी इस कल कारखानों में हम जैसे युवाओं को रोजगार करने का मौका मिला है उसमें शोषण बहुत ज्यादा होता है जो भी वर्कर काम करने वाले हैं उनका पैसा टैक्स के बजे में महीने में लेने का काम ठेकेदार के द्वारा किया जाता है धमकाया जाता है यह सबसे बड़ी बात है हम जैसे युवाओं को अगर शोषण होता रहे इसी तरह से हमारे जिले का और हमारे क्षेत्र का नाम कैसे आगे बढ़ सकता है क्योंकि हमारी धरती दिनकर की धरती है उसे महान योद्धा कभी हमारे जिले से प्रखर योग विद्वान की रूपरेखाआया हुआ है इस रूपरेखा से हम युवाओं को अगर यह तकलीफ इस क्षण से अगर हम लोग नीचे जाते रहेंगे तो आगे कब बढ़ सकते हैं हमारी पीढ़ी की श्रृंखला कैसे आगे बढ़ता है जय हिंद जय भारत जय बेगूसराय वासी हम
    अभिषेक भारद्वाज मजदूर एनटीपीसी

  2. ये सच है की बेगुसराय शहर में भूमि की उपलब्धता सीमित है लेकिन ये भी सोचना चाहिए की इस जिले में जितने भी अनुमंडल और ब्लॉक है उसका पैरेंट तो बेगुसराय ही है।
    वर्गिश जी शायद उसी क्षेत्र से आते हैं औरतें क्षेत्र की चिंता करना कोई बुरी बात नहीं है लेकिन ये एक अव्यावहारिक चिंता ही कहा जाएगा।इसीलिए प्रमंडल तो बेगुसराय ही उचित है।

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