जगी आस: एनजीटी की पहल से अब काबर वेटलैंड का होगा कायाकल्प

🎯राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर कमेटी के सदस्यों ने लिया काबर पक्षी विहार का जायजा

🎯एक्टिविस्ट सुभाष दत्ता ने प्रभावी तरीके से एनजीटी के समक्ष उठाया था वेटलैंड का गंभीर मुद्दा

जगी आस
समाचार विचार/मंझौल/बेगूसराय: रामसर साईट के रूप में चिन्हित काबर वेटलैंड के सिकुड़ने और उसके अतिक्रमण की शिकायत के बाद एनजीटी के पूर्वी क्षेत्र सर्किट बेंच द्वारा लिए गए संज्ञान के बाद बिहार के अधिकारियों की टीम ने मंगलवार को काबर वेटलैंड क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों का जायजा लिया। कमेटी में बिहार के सीसीएफ, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सीनियर साइंटिस्ट, बिहार वेटलैंड डिविजन के सीनियर अधिकारी, बेगूसराय के डीडीसी और डीएफओ आदि थे। कमेटी के सदस्यों ने मंझौल और आसपास के गांवों के काबर टाल की समस्या से प्रभावित इलाके का काफ़िला के साथ अवलोकन किया। किसानों के प्रतिनिधियों ने काबर वेटलैंड की जमीन को रैयतों की भूमि बताते हुए सीसीएफ को आवेदन दिया। विदित हो कि एक पर्यावरणविद एक्टिविस्ट सुभाष दत्त ने इस संबंध में एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष ये मुद्दा उठाया था। उन्होंने काबर वेटलैंड के अतिक्रमण और उसके सिकुड़ने सहित अन्य मुद्दों को लेकर एनजीटी ( नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) में अपील की थी। एनजीटी ने इनकी शिकायत पर चिंता व्यक्त करते हुए बिहार सरकार को आवश्यक निर्देश दिए और इसकी जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाकर उसे एक महीने के अंदर रिपोर्ट देने को कहा है। इस कमेटी में बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरीय वैज्ञानिक, बिहार वेटलैंड डिविजन के वरीय वैज्ञानिक, बेगूसराय के डीएम और डीएफओ को मेंबर बनाया गया है। उन्हें एक महीने के अंदर वस्तुस्थिति की जांच कर प्रतिवेदन देने को कहा गया है।

एक्टिविस्ट सुभाष दत्ता ने प्रभावी तरीके से एनजीटी के समक्ष उठाया था वेटलैंड का गंभीर मुद्दा
इस बाबत काबर नेचर क्लब के संरक्षक महेश भारती ने कहा है कि काबर वेटलैंड और पक्षी अभयारण्य को लेकर हवाई बातें करने से पहले कमेटी के सदस्यों खासकर बेगूसराय के डीएम और डीएफओ को काबर वेटलैंड के भूमि के स्वामित्व के धरातलीय यथार्थ को समझना चाहिए। टाल क्षेत्र के विकास और उन्हें किसान मजदूर और लोक हितकारी बनाने के लिए भूमि पर उनके अधिकार को देखते अधिग्रहण और मुआवजा की प्रक्रिया करनी चाहिए। बेगूसराय जिले के मंझौल, चेरियाबरियारपुर, छौराही, गढ़पुरा और नावकोठी क्षेत्र के लोगों के लिए काबर टाल का मुद्दा काफी गंभीर है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर मंगलवार को निरीक्षण से पूर्व कमेटी के सदस्यों ने जयमंगलागढ़ स्थित वन विभाग के अतिथिशाला में अधिकारियों के साथ इस मुद्दे पर बैठक की। बैठक के बाद नाव से कावर झील का निरीक्षण किया। देश में पर्यावरण मुद्दों से जुड़े कानूनों का पालन कराने वाली सबसे बड़ी नियामक संस्थाओं में से एक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में बेगूसराय जिले के कावर झील पक्षी अभ्यारण्य का मुद्दा उठा था।  पर्यावरणविद सुभाष दत्त ने इस संबंध में एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के समक्ष ये मुद्दा उठाया था।

कमिटी के सदस्यों ने करीब तीन घंटों तक किया मुआयना
एनजीटी ने शिकायत पर चिंता व्यक्त करते हुए बिहार सरकार को आवश्यक निर्देश दिए और इसकी जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाकर एक महीने के अंदर रिपोर्ट देने को कहा था। अधिकारियों की टीम ने बैठक के बाद झील का निरीक्षण किया एवं झील की स्थिति को देखा। पूर्व जिला परिषद सदस्य गजेंद्र प्रसाद सिंह, शंभू शरण शर्मा, सुमन कुमार एवं महेश भारती कमेटी के सदस्यों से मिलकर समस्याओं को रखने के लिए पहुंचे। शंभू शरण शर्मा ने किसानों की समस्याओं एवं सुझाव को लेकर कमेटी के सदस्यों को फाइल सौंपी। विदित हो कि वर्तमान में झील का अधिकांश भाग सूख चुका है। महालय, कोचालय एवं कुछ निचले भाग में ही पानी है। कमेटी के सदस्यों एवं अधिकारियों ने लगभग तीन घंटे तक झील का मुआयना किया। इस दौरान वन विभाग के रेंजर संजीव कुमार, चेरिया बरियारपुर के सीओ, वनरक्षी मधु कुमारी सहित कृषि विभाग, खनन विभाग के अधिकारी सहित वन विभाग के अन्य अधिकारी आदि मौजूद थे। बिहार राज्य नोडल पदाधिकारी क्लाइमेट चेंज डा. के गणेश कुमार, डीडीसी सोमेश बहादुर माथुर, वरीय उपसमाहर्ता राजकुमार, डीएफओ बेगूसराय अभिषेक कुमार, एसडीओ मंझौल प्रमोद कुमार, एसडीओ बखरी सन्नी कुमार सौरभ सहित कमेटी के सदस्यों एवं अधिकारियों की टीम ने कावर झील का मुआयना किया।

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