अलविदा: प्रो. राजकुमारी खेड़िया के निधन से हुआ हिंदी साहित्य के एक युग का अंत

राजकुमारी खेड़िया
➡️13 वर्षों तक जीडी कॉलेज में हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में रही कार्यरत
➡️दैनिक भास्कर के ब्यूरो प्रमुख कुमार भवेश ने सुनाया भावुक करने वाला संस्मरण
समाचार विचार/बेगूसराय: जीडी कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्ष रही प्रो. राजकुमारी खेड़िया अनंत लोक में विलीन हो गईं। उनके निधन की खबर फैलते ही न केवल कॉलेज के शिक्षकों व छात्रों में शोक की लहर दौड़ गई बल्कि जिले के बुद्धिजीवी भी शोक संतप्त हो उठे। गुरुवार की सुबह आठ बजे उनका देहांत हो गया। उनके पार्थिव शरीर पर महाविद्यालय के शिक्षकों और छात्राओं ने श्रद्धांजलि अर्पित कर नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
छात्र छात्राओं के बीच बेहद लोकप्रिय थी प्रो. खेड़िया
दिवंगत खेड़िया आठ फरवरी 1983 से आठ नवंबर 1996 तक हिंदी विभाग की अध्यक्ष पद को सुशोभित करती रहीं। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. राम अवधेश कुमार ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि प्रो. खेड़िया छात्र छात्राओं के बीच बेहद लोकप्रिय थीं। अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. कमलेश कुमार ने कहा कि प्रो राजकुमारी खेड़िया ने अपने दायित्वों का संपूर्ण निर्वहन किया। महाविद्यालय परिवार उनके प्रति हमेशा कृतज्ञ रहेगा। प्रो. सहर अफरोज, प्रो चंद्रभूषण प्रसाद, प्रो अभिमन्यु कुमार, प्रो लाल बहादुर सिंह,  एसबीएसएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अवधेश कुमार सिंह, शिक्षकेत्तर कर्मचारी अमित कुमार, एआईवायएफ के अभिनव कुमार अकेला, एबीवीपी के अजीत चौधरी, एनएसयूआई नेता निशांत कुमार, राहुल कुमार आदि ने शोक प्रकट करते हुए उनके आत्मा की शांति की प्रार्थना की।

दैनिक भास्कर के ब्यूरो प्रमुख कुमार भवेश ने सुनाया भावुक करने वाला संस्मरण
दैनिक भास्कर के ब्यूरो प्रमुख कुमार भवेश उनके निधन के बाद अपने एफबी वॉल पर लिखते हैं कि जब मैं दसवीं में पढ़ता था तो जब कभी कर्पूरी स्थान चौक की तरफ जाता था तो मस्जिद चौक पर बायीं तरफ एक ब्लैक बोर्ड पर सदविचार लिखा हुआ देखता था। कई बार यह पढ़ने के बाद किसी ने बताया कि यहां एक स्कूल चलता है। उसके संचालक आदरणीय गोपाल मस्करा जी की पत्नी, जो जीडी कालेज की प्रोफेसर डॉ. राजकुमारी खेड़िया जी हैं, वही यह लिखती हैं। मन आदर से भर उठता था। समय बीता तो जीडी कॉलेज में नामांकन हो गया। यह वो वक्त था, जब कुछ प्राध्यापकों को वर्ग कक्ष में बुरी तरह से हुंडिंग का सामना करना पड़ता था। वो उद्दंड विद्यार्थियों को कुछ कह भी नहीं पाते थे। ऐसे में एक प्राध्यापक थे जिनके वर्ग में पिन ड्राप साइलेंस होता था वो थी, डॉ. राजकुमारी खेड़िया। उनके पढ़ाई के तरीके के कारण वर्ग में पिन ड्राप साइलेंस। क्या मजाल कि कोई उदंड विद्यार्थी भी वर्ग में कुछ बोले। मैं भी उनके वर्ग का इंतजार करता था। अन्य विद्यार्थियों की तरह मैं भी उनका प्रशंसक था। तब नही पता था कि आने वाले समय में हमारा उनसे पारिवारिक संबंध बन जायगा। उनके पुत्र अमरनाथ मस्करा के कारण हमारे परिवार का इस परिवार से ऐसा संबंध स्थापित हो गया कि मैं मैम से कब मौसी कहने लगा पता ही नहीं चला। समय‌ बीतता गया। वह समय लगभग 30 साल का हो गया। इनके पति गोपाल मस्करा जी को चाचाजी बोलता था। कोई दिन ऐसा नहीं होता था कि वह शाम में टहलते वक्त हमारे नगर पालिका मार्केट स्थित कार्यालय पर मुझसे मिलने नहीं आते थे। 3 साल पहले हृदयाघात से बनारस में उनका भी निधन हो गया। आप तब से काफी परेशान रहने लगी। समय निकालकर जब कभी भी मिलता था एक ही शिकायत रहती थी भवेश जी थोड़ा समय निकाल कर मिल लिया किजिए। व्यस्तताओं के कारण आपसे मिलना-जुलना इन दिनों कम हो गया था। 28 फरवरी को अंतिम बार आपसे मिला था। रात के नौ बजे थे, जब मैंने आपको कॉल किया था। आपको सबेरे सोने की आदत थी, आप सो चुकी थी। मेरे फ़ोन से आप जगी, आपसे आधे घंटे के करीब बातें हुई। अपनापन और हमारे पारिवारिक संबंधों की यादें ताजा हुई। शिकायत  पिंकी (मेरी अर्धांगिनी) को लेकर नहीं आने की थी तो जल्द ही पिंकी को साथ लेकर आने के वादे के साथ विदा हुआ तो आज यह सोचकर दिल दुख गया कि अरे वो तो हमारी आखिरी मुलाकात थी। यूं ना जाना था आपको बिन कहे🙏आपको शत शत नमन। क्योंकि आपको संबंध निभाना आता था, परिवार में भी, परिवार के बाहर भी। आप त्याग की प्रतिमूर्ति थी। आप जैसे गुरु और शख्शियत की भरपाई असंभव।

मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह ने भी उनके निधन को बताया दुखद
मटिहानी विधायक राजकुमार सिंह ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि एक विदुषी का अवसान – हिन्दी जगत की अपूरणीय क्षति! प्रोफेसर राजकुमारी खेड़िया जी, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, सर गणेश दत्त महाविद्यालय,बेगुसराय के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। वे न केवल एक उत्कृष्ट शिक्षिका थीं, बल्कि हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति की गहरी साधिका भी थीं। उनके द्वारा शिक्षित असंख्य छात्र आज समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दे रहे हैं—यह उनकी विद्वता और मार्गदर्शन का जीवंत प्रमाण है। मैं उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें एवं परिजनों को यह अपार दुःख सहने की शक्ति दें। हिन्दी जगत ने आज एक प्रकाशस्तंभ खो दिया। उनकी विद्वता और सरलता सदा स्मरणीय रहेगी।
“समाचार विचार परिवार भी नमित नयनों से उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।”
राजकुमारी खेड़िया

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