➡️मुख्य जिला प्रवक्ता अजय कुमार के बाद अब दिनकर भारद्वाज ने भी दिया इस्तीफा
➡️धनबलियों को प्राथमिकता और प्रशांत किशोर के एकतरफा निर्णय से असहज महसूस कर रहे हैं कार्यकर्ता

समाचार विचार/बेगूसराय: बिहार की राजनीति में पारदर्शिता, लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान, जनता की भागीदारी और वैकल्पिक राजनीति का निर्माण करने का दंभ भर रही जनसुराज पार्टी में व्यक्ति-पूजा, धनबलियों को प्राथमिकता व एकतरफा निर्णयों की प्रवृत्ति हावी होती जा रही है। शायद यही वजह है कि बेगूसराय में पार्टी के कोर टीम के सक्रिय सदस्यों का अब मोहभंग होता जा रहा है और इस्तीफा का दौर शुरू हो गया है। जनसुराज बेगूसराय के पूर्व उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता अजय कुमार के इस्तीफे के बाद कोर टीम के सक्रिय सदस्य दिनकर भारद्वाज ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
धनबलियों को प्राथमिकता और प्रशांत किशोर के एकतरफा निर्णय से असहज महसूस कर रहे हैं कार्यकर्ता
जन सुराज अभियान के पूर्व उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता अजय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि मैं लंबे समय से संगठन के विभिन्न स्तरों पर सक्रिय भूमिका निभाता रहा हूँ। एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में मेरी आस्था उन सिद्धांतों में रही है जिनकी नींव पर जन सुराज खड़ा हुआ था– पारदर्शिता, लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान, जनता की भागीदारी और वैकल्पिक राजनीति का निर्माण। इन्हीं मूल्यों के कारण मैंने न केवल अपना समय, श्रम और ऊर्जा जन सुराज को समर्पित किया, बल्कि संगठन की मजबूती हेतु जिला मुख्त प्रवक्ता जैसी जिम्मेदारी भी संभाली लेकिन आपकी घमंडी और आत्ममुग्ध सोच,तानाशाही और वन मन शो की वजह से जन सुराज से धीरे धीरे मोह भंग होता गया। समय बीतने के साथ यह स्पष्ट होता गया कि जिन आदर्शों की बात मंचों और मीडिया में की जाती है, वे वास्तव में केवल एक दिखावा हैं। निर्णयों में न तो लोकतांत्रिक सहभागिता है, न ही पारदर्शिता। कार्यकर्ताओं की आवाज़ को लगातार नज़रअंदाज़ किया जाता है, और संगठन में व्यक्ति-पूजा,धनबलियों को प्राथमिकता व एकतरफा निर्णयों की प्रवृत्ति हावी होती जा रही है।एक काबिल दलित जिसे आपने अपना पहला नमूना कहकर अध्यक्ष बनाया वो सच में सिर्फ नमूना बन कर रह गए हैं।पार्टी के कार्यक्रम, पोस्टर ,बैनर ,यहां तक कि सदस्यता रसीद और विजिटिंग कार्ड पर आप ही आप हैं।
जन सुराज अभियान में पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तक ही सीमित है जनता का महत्व
जन सुराज अभियान जिन मूलभूत सवालों को लेकर चला था – जैसे भ्रष्टाचार, जातिवाद, पारिवारिक राजनीति और व्यक्तिवाद – दुर्भाग्यवश वही समस्याएं अब संगठन के भीतर भी घर कर चुकी हैं। मुझे यह स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं कि प्रशांत किशोर जी की नेतृत्व शैली और ज़मीनी हकीकत के बीच गहरा अंतर है। उनकी कथनी और करनी के बीच जिस प्रकार की विसंगति दिखाई दी, उसने मेरी आस्था को पूरी तरह झकझोर दिया है। एक तरफ जन संवाद और सुराज की बातें होती हैं, दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं के साथ संवादहीनता और JSPT की मनमानी और धन उगाही चरम पर है। मुझे अब यह कहने में कोइ स़शय नहीं कि जन सुराज जन साजिश है,यह एक कोर्पोरेट प्रायोजित एक राजनीतिक तमाशा है जिसका जिसके मदारी हैं प्रशांत किशोर। आपकी नजर में जनता का महत्व सिर्फ पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तक सीमित है। अतः मैं गहरे आत्ममंथन के बाद यह निर्णय ले रहा हूँ कि मैं तत्काल प्रभाव से जन सुराज पार्टी से इस्तीफा देता हूँ और साथ ही। मेरा मानना है कि समाज परिवर्तन केवल किसी राजनीतिक संगठन का हिस्सा बनकर नहीं, बल्कि अपने स्तर पर जनसेवा और वैचारिक प्रतिबद्धता के साथ भी किया जा सकता है। यह निर्णय मेरे अंतर्मन की पुकार है, न कि किसी क्षणिक आवेश या निजी आहत भावना का परिणाम। मैं आज़ाद होकर, बिना किसी दलगत बंधन के, समाज के लिए कार्य करता रहूँगा – खासकर उन आवाज़ों के लिए जिन्हें आज भी कोई नहीं सुनता।
शहर के प्रसिद्ध व्यवसायी दिनकर भारद्वाज ने भी पार्टी से दिया इस्तीफा
शहर के प्रसिद्ध व्यवसायी दिनकर भारद्वाज ने भी पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि जन सुराज पार्टी अपने नैतिक मूल्यों एवं लक्ष्य से भटक चुकी है। एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में मेरी आस्था पार्टी के सिद्धांतों में रही है। सही सोच- सही लोग- सामूहिक प्रयास जैसे नैतिक मूल्यों के जिस नींव पर जन सुराज पार्टी खड़ा हुआ था उससे पार्टी भटक चुकी है। इन्हीं मूल्यों के कारण मैं जन सुराज पार्टी से जुड़ा था। चूँकि पार्टी अपने मूल सिद्धांतों को तिलांजलि दे चुकी है अतः मैं जन सुराज पार्टी से इस्तीफा देता हूँ।
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Author: समाचार विचार
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