➡️नीतीश के सुशासन को बताया बिहार के विकास, विश्वास और स्थायित्व की पहचान
➡️सत्ता के संरक्षण में जंगलराज के दौरान हुए वीभत्स नरसंहार को याद कर सिहर उठा सदन
समाचार विचार/बेगूसराय: सार्वजनिक जीवन में धीर गंभीर व्यक्तित्व के धनी बेगूसराय के विधायक कुंदन कुमार का रौद्र रूप देखकर आज सदन सिहर उठा। बिहार विधानसभा में आज बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार ने 90 के दशक में लालू यादव के शासनकाल के दौरान व्याप्त अराजकता, भ्रष्टाचार और अपराध के माहौल पर कड़ा प्रहार किया।उन्होंने इसे बिहार के विकास में सबसे काला दौर बताते हुए कहा कि “वह दौर भय, भ्रष्टाचार और अपराध का था, जब जनता असुरक्षित थी और शासन नाम मात्र का था।” विधायक ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “आज बिहार विकास की राह पर है, लेकिन हमें उस दौर की सच्चाई नहीं भूलनी चाहिए, ताकि फिर कभी जंगलराज वापस न लौट सके।”
बेलगाम अपराध और भ्रष्टाचार का पर्याय था लालू का जंगलराज
उन्होंने 90 के दशक में बिहार की बिजली की चरमराई हालत पर कहा कि उस समय घरों में दिया जलता था, लेकिन बिजली नहीं आती थी। गाँव-शहर अंधेरे में डूबे रहते थे, उद्योग-धंधे ठप थे। लेकिन आज सुशासन की नीति से गाँव-गाँव रोशन है, सड़कें जगमगा रही हैं और विकास की गाड़ी तेज़ी से आगे बढ़ रही है। यह फर्क है जंगलराज और सुशासन में दिख रहा है। विधायक श्री कुमार ने जंगलराज की वीभत्स घटना पर बोलते हुए सदन में कहा कि- वो जंगलराज का दौर जब हत्याएं आम हो गई थी। 90 के दशक में हुए वामपंथ के बड़े नेता JNU के दो दो बार के प्रेसिडेंट चंद्रशेखर जिनका पार्टी की मीटिंग में हत्या कर दी जाती है। उस समय की राजद की सरकार ने कोई कार्रवाई तक नहीं किया। वहीं दूसरी ओर वामपंथ के नेता अजीत सरकार जी का हत्या, डीएम कृष्णैया की हत्या, उस समय एसपी रहे बच्चू सिंह मीणा, जिनका एनकाउंटर राजद के एक बाहुबली नेता के साथ सिवान में लगातार 10 घंटे चली लगभग 4000 राउंड गोलियां चली, पाकिस्तान का AK 47 राइफल, ग्रेनेड, पिस्टल समेत कई इलीगिल हथियार पकड़े गए, कई पुलिस वाले मारे गए। उस भीषण कांड में दोषियों पर कार्रवाई करने के बदले 24 घंटे के भीतर एसपी बच्चू सिंह नीमा जी का ट्रांसफर कर दी जाती है यह जंगल राज नहीं है तो और क्या है?
सत्ता के संरक्षण में जंगलराज के दौरान हुए वीभत्स नरसंहार को याद कर सिहर उठा सदन
सत्ता के संरक्षण में जंगलराज के दौर में लगातार चल रही नरसंहार से बिहार की जनता भय के साए में जी रही थी। 12 फरवरी 1992 का बारा नरसंहार, 1996 में पठानी नरसंहार, 1997 में लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार, 1999 में शंकर बीघा नरसंहार और सेनारी नरसंहार जिसको आज याद करके रूह कांप जाती है। आदरणीय नीतीश जी की सुशासन की सरकार में ये सारे गुंडाराज खत्म हुआ। आज देश विदेश के लोग कह रहे हैं कि बिहार विकास के राह पर निरंतर गतिमान है।
गरीबों को सस्ती बिजली देने के लिए कृत संकल्पित है सुशासन की सरकार
उन्होंने कहा कि आज मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के नेतृत्व में सुशासन की सरकार आमजनों को 55 पैसे प्रति यूनिट बिजली मुहैया करा रही है।जबकि उसका उत्पादन कीमत ₹675 पैसा प्रति यूनिट है। उनका यह वक्तव्य विधानसभा में गूंजा और उन्होंने बिहार के उज्जवल भविष्य के लिए सुशासन और विकास की निरंतरता पर जोर दिया। ज्ञातव्य हो कि विधायक कुंदन कुमार को विधानसभा द्वारा गृह विभाग और ऊर्जा विभाग पर बोलने का मौका दिया गया था।
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Author: समाचार विचार
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