➡️युवा साहित्यकार डॉ. अभिषेक कुमार ने फिर किया वामपंथियों को एक्सपोज
➡️संवेदना से नहीं बल्कि राजनीति से संचालित हैं प्रगतिशील वामपंथी बुद्धिजीवी वर्ग
समाचार विचार/बेगूसराय: जिले के चर्चित युवा साहित्यकार और प्रख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक कुमार एक बार फिर वामपंथी बुद्धिजीवियों पर हमलावर हुए हैं। कुछ दिन पूर्व वामपंथियों पर केंद्रित उनकी एक प्रकाशित आलेख ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। अब उन्होंने चर्चित सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर नेहा सिंह राठौर को वामपंथी बुद्धिजीवियों की नई गॉड मदर बताते हुए कहा कि प्रगतिशील वामपंथी बुद्धिजीवी वर्ग संवेदना से नहीं बल्कि राजनीति से संचालित हो रही है।
व्यक्तिगत स्वार्थ में सच्चाइयों से मुंह मोड़ रहे हैं ये लोग
डॉ. अभिषेक लिखते हैं कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया एक वैसा मंच है, जहाँ प्राथमिकता के आधार पर क्रमशः फॉलोवर्स , व्यक्तिगत प्रसिद्धि और सच्चाई मायने रखती है। सपाट शब्दों में सच्चाई से अधिक फॉलोवर्स की भीड़ मायने रखती है। सोशल मीडिया पर लिखने, बोलने और वीडियो कंटेंट का एक ही मतलब है, अपने फॉलोवर्स को संतुष्ट करना और नेहा सिंह राठौर यही कर रही है।
आतंकी हमला पहलगाम में, कायरता की हदें पार।
धर्म पूछ कर गोली मारी, सुना ऐसा पहली बार।।
वे लिखते हैं कि चाहे हरियाणा के नेवी ऑफिसर नरवाल की पत्नी हो, सूरत के शैलेश भाई की पत्नी हो, साउथ की पल्लवी हो, मुंबई के अतुल की पत्नी हो, सब एक ही बात चीख – चीख कर बोली ” आतंकियों ने पहले धर्म पूछा और फिर गोली मार दी ” लेकिन नेहा सिंह राठौर को इस सच्चाई से क्या लेना – देना। उसे तो अपने एजेंडा पर काम करना है। सरकार से सवाल पूछने के बहाने मोदी को कोसना है। मोदी को कोसने के बहाने देश को नीचा दिखाना है और अपने लिए क्राउड फंडिंग करवाना है। अगर इसके लिए पाकिस्तानियों की गोद में भी बैठना पड़े, तब भी परहेज नहीं, सच्चाई जाए भांड में।
मोदी जी से खुन्नस खाकर, गिरोगे कितना और।
पाकिस्तानियों का झुनझुना बनी, नेहा सिंह राठौर ।।
नेहा सिंह राठौर व्यक्तिगत स्वार्थ में सच्चाई से मुँह मोड़ते हुए सोशल मीडिया पर सवाल पूछने का स्वांग भर रही है। जिसपर उसके वामपंथी बच्चे लहालोट होते जा रहे हैं। अब जरा नेहा का सवाल देखिये – किसने हमला करवाया होगा ? किसे फायदा होगा ? अगर धर्म पूछकर हिन्दुओं को मारा गया तो कश्मीरी हुसैन को क्योँ मारा ? और फिर मोदी को कोसने के बहाने देश को निचा दिखाने का प्रलाप! दो दिनों तक सोशल मीडिया पर बिल्लियों की भांति उछल-कूद कर अपना पीठ खुद ही थपथपाना और फिर पाकिस्तान की गोद में बैठ कर पुच्ची – पुच्ची खेलना। यह सब देख कर वामपंथियों का लहालोट होना। फिर कल अर्थात 28/4/2025 को मुकदमा दर्ज होने पर सोशल मीडिया पर इमोशनल होते हुए क्राउड फंडिंग और सपोर्ट की अपील करना। यह बताना कि मेरे अकॉउंट में सिर्फ 542 रुपये हैँ मेरा सपोर्ट कीजिये। मुझ पर मुकदमा हो गया है और आज अर्थात 29/4/2025 को दिल्ली एयरपोर्ट से फिर एक वीडियो पोस्ट करना और यह बताना कि यह मेरी पांचवी चाय है फिर कुटिलता भरी मसखरी करना।
सवाल पूछना सत्ता से, नहीं भारत में गुनाह।
शोक समय संयमित रहो, रखो न प्रसिद्धि की चाह।।
डॉ. अभिषेक पूछते हैं कि यह सब क्या साबित करता है ? वामपंथियों के द्वारा सच्चाई को भी राजनितिक लाभ के चश्मे से देखा जाना, तभी तो वामपंथी एक अतिसंवेदनशील मुद्दे पर नेहा द्वारा किये जाने वाले असंवेदनशील टिप्पणियों को भी वाहवाही से नवाजते रहे। जो आज नेहा कर रही है, वही सब करके तो देश के टुकड़े – टुकड़े करने की मानसिकता रखने वाला एक युवा बिना किसी नौकरी के करोड़पति बन गया। उस समय उस युवा के पीछे यही लोग लहालोट हो रहे थे, जो आज नेहा के पीछे खड़े दिख रहे हैं। परिणाम क्या निकला? वह लड़का ठेंगा दिखा गया। एक दिन वामपंथियों तुम्हारी यह गॉडमदर भी तुमको ठेंगा दिखा दे, तो तुम व्यर्थ प्रलाप मत करना।
वामपंथी बुद्धिजीवियों ने, किया राजनीति का खेल।
क्षुद्र स्वार्थी लालच में, समझता साहित्य को रखैल ।।
अब मुख्य मुद्दे पर वापस लौटता हूँ कि नेहा के बहाने वामपंथी चाहते क्या हैं, यही न :-
1. आतंकी हमले में जिन्होंने पिता – भाई और पति को खोया है उन महिलाओं के दर्द को भी कटघड़े में खड़ा किया जाय।
2. जिनकी आँखों के सामने उनका संसार लूट गया हो उनकी गवाही को भी भाजपाई एजेंडा साबित किया जाय।
3. हर घटना को राजनितिक चश्मे से देखा जाय।
4. देश का गर्दन झुके तो झुके लेकिन अपने नैरेटिव को हवा देते रहो।
कपट किनारे बैठकर, रचता है छल छंद ।
देश को निचा दिखता, वामपंथी मतिमंद ।।
निष्कर्षतः, यह कहा जा सकता है कि
1. प्रगतिशील वामपंथी बुद्धिजीवी वर्ग संवेदना से नहीं, बल्कि राजनीति से संचालित होती है ।
2. उस महिला का बयान भरोसा के लायक होगा, जिन्होंने अपनी आँखों के सामने अपना सब कुछ खो दिया ना की नेहा सिंह राठौर जैसी चालबाज लड़की का, जिसने सच को झूठ बनाने का जिम्मा अपने कंधे पर उठाया है।
वारदात आतंकी हुयी, वामपंथियों की मौज।
जहर उगलने में जुटा, जयचंदों की फ़ौज।
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Author: समाचार विचार
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