अब नहीं है मतभेद: मछुआरों के लिए संजीवनी साबित होगा चेकडैम का निर्माण

साहेबपुरकमाल
➡️बिहार राज्य जल श्रमिक संघ ने अवरोध पैदा करने वालों को बताया काबर झील का दुश्मन
➡️जल श्रमिक संघ बेगूसराय के सदस्यों ने डीएम को सौंपा है धन्यवाद ज्ञापन पत्र

समाचार विचार/चेरियाबरियारपुर/बेगूसराय: काबर परिक्षेत्र के किसानों एवं मछुआरों के बीच कोई मतभेद नहीं है। बुढ़ी गंडक नदी से काबर झील में पानी लाकर इसके अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार के स्तर से उठाए जाने वाला कदम सराहनीय है। इससे काबर के मूल किसानों को कोई परेशानी नहीं है, परंतु कुछ तथाकथित नेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए काबर झील के अस्तित्व को मिटाना चाहते हैं। लेकिन काबर झील परिक्षेत्र के मछुआरा उनके मंसूबों को कभी सफल होने नहीं देंगे। उक्त बातें बिहार राज्य जल श्रमिक संघ बेगूसराय के बैनर तले राजेश्वरी प्ल्स टू विद्यालय के प्रांगण में आयोजित मछुआरों की एक बैठक को संबोधित करते हुए संघ के जिला अध्यक्ष रामविलास सहनी ने कही। उन्होंने कहा कि काबर परिक्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में लगभग 50 हजार मछुआरों का परिवार काबर झील पर आश्रित है। काबर में शिकारमाही उनका पेशा जन्म जन्मांतर से रहा है। कालांतर में पर्यावरण में आए बदलाव के कारण काबर का जल सुख गया। जिस पर कुछ तथाकथित लोगों के द्वारा कब्जा कर खेती किसानी करवाया जा रहा है।इससे काबर के मूल किसानों को कोई भी परेशानी नहीं है। काबर झील के नहर का उड़ाही करण कर बुढ़ी गंडक नदी से काबर झील में पानी लाना क्षेत्र के मछुआरा समाज के लिए संजीवनी बूटी का काम करेगा।
वर्षों से काबर झील क्षेत्र में खेती किसानी के साथ होती रही है शिकार माही
बैठक में मौजूद सैकड़ों मछुआरों को संबोधित करते हुए संघ के जिला अध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में खेती किसानी के साथ शिकार माही भी काबर में लगातार होता रहा है तथा काबर की मछलियों के स्वाद से देश का बड़ा तबका वाकिफ है। चूंकि वह दिन भी लोगों को याद है, जब खेती किसानी के साथ काबर की मछलियों का निर्यात बड़े पैमाने पर दूसरे प्रदेशों में होता था। उस समय तक किसानों को कोई परेशानी नहीं थी क्योंकि काबर झील का एरिया 65 सौ एकड़ में फैला हुआ है, जो जल प्लावित एरिया कहलाता है। लेकिन विगत 20 वर्षों से काबर झील का जल सूख जाने के बाद इस तरह प्रोपगंडा फैला कर कुछ तथाकथित नेता अपनी राजनीति चमकाने के उद्देश्य से मछुआरों एवं सरकार को दिग्भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। एसडीएम मंझौल के द्वारा जब किसानों को अपनी जमीन के दावे में कागज पेश करने की बात कही गई, तो एक भी किसानों ने एसडीएम के समक्ष अपनी जमीन के समर्थन में कागज प्रस्तुत नहीं कर पाए।

मतभेद

जल श्रमिक संघ बेगूसराय के सदस्यों ने डीएम को सौंपा है धन्यवाद ज्ञापन पत्र
जल श्रमिक संघ की बैठक में काबर परिक्षेत्र के विभिन्न पंचायतों से मछुआरा समाज के प्रतिनिधि शामिल होकर हरसाईंन चेकडैम निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने की मांग करते हुए अपनी एकता एवं प्रतिबद्धता दोहराते दिखे। प्रतिनिधियों ने बताया कि पूर्व में बगरस चेकडैम के कारण ही काबर का अस्तित्व मिटने के कगार पर पहुंच गया था। अब हरसाईंन चेकडैम निर्माण से काबर का खोया हुआ अतीत पुनः वापस मिल सकेगा। उक्त बैठक में संघ के प्रखंड सचिव चेरिया बरियारपुर रामशकल सहनी, पूर्व सचिव दिलीप सहनी, रामविलास सहनी, पूर्व पंसस श्रवण सहनी, कुंभी से रामकृत सहनी, एकम्बा से रामप्रसाद सहनी, मंझौल से प्रकाश सहनी, शाहपुर से राम सुमिरन सहनी, मनिकपुर से रामप्रताप मुखिया, श्रीपुर से जगदेव सहनी, सकरबासा से जामुन सहनी, नारायण पीपर से सागर सहनी, कनौसी से अरविंद सहनी, परोड़ा से मीना सहनी आदि के नेतृत्व में सैकड़ों मछुआरों ने भाग लेकर जिलाधिकारी तुषार सिंगला, एसडीएम प्रमोद कुमार एवं वन विभाग के अधिकारी अभिषेक कुमार का शुक्रिया अदा करते दिखे।
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