➡️स्नान करने के दौरान बूढ़ी गंडक नदी में डूबकर हुई चार किशोरों की मौत
➡️एक दोस्त को बचाने के चक्कर में असमय काल के गाल में समा गए चार दोस्त

समाचार विचार/खोदावंदपुर/बेगूसराय: काल का क्रूर पंजा कब और किसे बेरहमी से मौत की नींद सुला दे, यह किसी को पता नहीं है। पिता चाँदसी दास और माता सूर्यमाला देवी को तनिक भी भान नहीं था कि अगले कुछ देर में उनकी जुड़वां संतान मृत्यु शैय्या पर होगी। अन्य दो मृतक किशोर के परिजनों को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अचानक इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया। मातममपुर्सी करने पहुंचे ग्रामीण भी हतप्रभ और व्यथित थे। बूढी गंडक में स्नान करने गए आठ युवकों में से चार की मौत के बाद जहां एक ओर परिजनों के कारुणिक क्रंदन से माहौल गमगीन था, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों ने प्रशासन की लापरवाही के विरुद्ध जमकर भड़ास निकाली। ग्रामीणों का कहना था कि क्षेत्र में कोई भी स्नान घाट सुरक्षित नहीं है। अंचल और प्रखंड प्रशासन केवल कागजों पर ही घाटों के सुरक्षित होने का दावा करता है, जबकि जमीनी स्थिति उसके दावों के ठीक विपरीत है।















