➡️डॉ. सच्चिदानंद पाठक द्वारा रचित भावाभिव्यन्जनाएं का समारोहपूर्वक हुआ विमोचन
➡️रघुनन्दनपुर के मंगल भवन में आयोजित कवि सम्मेलन में कवियों ने बांधा समां

समाचार विचार/बेगूसराय: बेगूसराय के सुप्रसिद्ध लोकगायक व साहित्यकार डाॅ. सच्चिदानंद पाठक की काव्य पुस्तक “भावाभिव्यन्जनाएं” का लोकार्पण उनके निवास स्थल मंगल भवन, रघुनन्दनपुर में दर्जानाधिक साहित्यकारो की उपस्थिति में हुआ। लोकार्पण समारोह के मुख्य उद्घाटनकर्ता डाॅ. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने इस अवसर पर कहा कि इस पुस्तक के अध्ययन से धड़कन और बेचैनी को महसूस कर सकते हैं। वर्तमान समय में, जब मनुष्यता पर संकट है ऐसे वक्त में यह पुस्तक, आदमी को इंसानियत हेतु प्रेरित करेगी। उन्होंने आगे कहा कि जीवन का संपूर्ण विस्तार कवि की कविताओ मे महसूस होता है। उन्होंने श्री पाठक से संस्कृत शोध पत्र पर पुस्तक लिखने व प्रकाशित करने का अनुरोध किया।

पाठक जी की कविताओं में है परम्परा और प्रगति की प्राचीनता व आधुनिकता का सुखद मेल
लोकार्पण के अवसर पर समारोह के मूर्धण्य अतिथि द्वारिका राय “सुबोध”ने कहा कि यह पुस्तक धर्म , दर्शन, रीति – रिवाज, सामाजिक- जीवन के निष्पक्ष दृष्टिकोण से रूबरू करवाती है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशान्त भोला ने कहा कि पाठक जी और इनकी कविता मंच की अनिवार्यता है। इनकी कविताएं अभिधार्थ हैं, सीधे पाठको तक संप्रेषित हो जाती है । समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. शैलेन्द्र शर्मा त्यागी ने कहा कि पाठक जी की कविता में परम्परा और प्रगति की प्राचीनता व आधुनिकता का सुखद मेल है। समस्तीपुर से आए साहित्यकार नकी खान ने कवि की हास्य – व्यंग्य की रचनाएं, एक ओर जहां गुदगुदाती है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक कुरीतियो पर कड़ा प्रहार भी करती है।















