➡️दोषियों को बचाने की पृष्ठभूमि से सवालों के घेरे में आए जांच अधिकारी
इस मामले में मांग को लेकर उठ रहे सवाल गंभीर हैं।
➡️अपने ही बुने जाल में उलझे थाना कांड संख्या 108/025 के आवेदक
आवेदक की मांग पर कार्रवाई की आवश्यकता है।
इस आवेदन में मांग को उजागर किया गया है।
समाचार विचार/साहेबपुरकमाल/बेगूसराय: जनता की सेवा का दावा करने वाली बेगूसराय पुलिस के एक पदाधिकारी के द्वारा कांड संख्या 108/25 में बगैर साक्ष्य के निर्दोष को फंसाने और दोषियों को बचाने की पृष्ठभूमि तैयार की गई है, जिसके बाद पीड़ित ने वरीय पुलिस पदाधिकारियों को आवेदन देकर समुचित कार्रवाई की मांग की है, ताकि पुलिस पर आम लोगों का भरोसा कायम रहे। इस केस के अनुसंधान कर्ता और वीरपुर थाने की एक महिला पुलिस अधिकारी की भुमिका सवालों के घेरे में है।
पीड़ित ने जांच प्रतिवेदन पर उठाए हैं गंभीर सवाल
यह मामला साहेबपुर कमाल थाने के सनहा पश्चिम पंचायत से जुड़ा है। उक्त पंचायत की पीड़िता सुधा देवी ने पुलिस कप्तान और पुलिस उपमहानिरीक्षक को आवेदन देकर पुलिस के जांच प्रतिवेदन पर कई सवाल उठाए हैं। पीड़ित महिला ने आवेदन में कहा है कि दिनांक 15 अप्रैल 025 की रात में विकेश मालाकार के घर के अंदर गोलीकाण्ड की घटना हुई थी। घर के सामने मस्जिद में सीसीटीवी लगे हैं, जो घटना के सच्चाई को बताने के लिए पर्याप्त है। इस घटना में पीड़िता के पति रामउदय महतों, पुत्र मनोज, पंकज, और चंदन को नामजद किया है। इसकी सच्चाई सीसीटीवी ही बताएगा। आवेदन में महिला ने यह भी कहा है कि विकेश मालाकार पेशेवर भूमफिया और दलाल है। इनके फर्जीवाडे की कई सच्ची कहानियां हैं। उन्होने यह भी सवाल किया है कि जांच अधिकारी ने बगैर वैज्ञानिक अनुसंधान के ही जांच प्रतिवेदन दिया है। इतना ही नहीं दोषियों को लाभ पहुंचाने के लिए विकेश मालाकार की पत्नी का फर्जी नाम गीता देवी लिखा है, जबकि असली नाम विनिता है।
निर्दोष को फंसाने में संलिप्त पुलिस पदाधिकारी पर हो कठोर कार्रवाई
सबसे बड़ा सवाल यह है कि वीरपुर थाने की महिला पुलिस अधिकारी मीरा कुमारी विकेश मालाकार के मौसी हैं और केस की अनुसंधान कर्ता वीरपुर थाने की पुलिस अधिकारी मीरा कुमारी की नजदीकी हैं। आश्चर्य तो यह है कि इस केस के फर्द बयान में वीरपुर थाने में पदस्थापित पुलिस अधिकारी मीरा कुमारी का हस्ताक्षर भी है, इसकी गहराई से जांच की जरुरत है। चौकाने वाला मामला यह है कि घटना में घायल का इलाज सरकारी हॉस्पिटल में हुआ तो फिर जख्म प्रतिवेदन निजी क्लीनिक के चिकित्सक से क्यों लिया गया? इसमें भी असलियत को छिपाने का असफल प्रयास किया गया। पीड़िता ने वर्तमान जांच अधिकारी को हटाने और खुद वरीय पुलिस अधिकारी से जांच का आग्रह किया है, ताकि निर्दोष फंसे नहीं और दोषी बचे नहीं।
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