➡️कंसल्टेंट नेत्र विशेषज्ञ डॉक्टर अभिषेक कुमार ने दिए हैं बहुमूल्य टिप्स
➡️पारंपरिक पटाखों से कम खतरनाक नहीं है ग्रीन आतिशबाजी
समाचार विचार/बेगूसराय: दिवाली प्रकाश और आतिशबाजी का पर्व है और इस पर्व में पटाखों से होने वाली आंखों की चोटों का खतरा बढ़ जाता है। प्रत्येक साल, खासकर बच्चों में, जलने, जलन और कॉर्निया में खरोंच जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। दिवाली के उत्सवी माहौल में हम बच्चों को आतिशबाजी करने से तो रोक नहीं सकते हैं, लेकिन कुछ सावधानियां बरतने से संभावित खतरों को रोक तो जरूर सकते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए बेगूसराय के चर्चित कंसल्टेंट नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अभिषेक कुमार ने पाठकों से महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने न केवल सुरक्षित आतिशबाजी के उपायों पर भी प्रकाश डाला है, बल्कि बचाव के तरीकों को भी बताया है।
पारंपरिक पटाखों से कम खतरनाक नहीं है ग्रीन आतिशबाजी
डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि आतिशबाजी हर आयु वर्ग के लोगों के लिए नुकसानदेह है। खासकर बच्चों को आतिशबाजी के समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने बताया कि आतिशबाजी के क्रम में जख्मी होने की स्थिति में अगर समय पर इलाज न मिले तो ये चोटें दृष्टिहीनता का कारण भी बन सकती हैं। आजकल बाजार में ग्रीन पटाखे की धूम मची है। ग्रीन पटाखे, जो पर्यावरण के लिए बेहतर माने जाते हैं, वह भी आँखों के लिए उतना ही खतरनाक है जितना पारम्परिक पटाखे। ग्रीन पटाखे कम धुआं छोड़ते हैं, जिससे वे पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, लेकिन उनमें ऐसे रसायन होते हैं जो आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए, इनसे बचाव के लिए वही सावधानियां बरतना जरूरी हैं। एक अच्छी बात यह है कि कम उत्सर्जन के कारण ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में आंखों में कम जलन पैदा करते हैं। फिर भी, सुरक्षा से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
















