चुनावी चर्चा में आज हमारे साथ हैं जिले के ख्यातिलब्ध कवि, साहित्यकार और लेखक वागीश आनंद
➡️जनसुराज के निर्णायक दखल से भी नहीं किया जा सकता है इंकार
➡️सियासी तापमान बढ़ने के साथ ही चरम पर है चुनावी सरगर्मी
वागीश आनंद
समाचार विचार/बेगूसराय: बिहार विधानसभा चुनाव सर पर है। दोनों मुख्य प्रतिद्वन्द्वी एनडीए और महागठबंधन अपनी चक्रव्यूह रचना में व्यस्त है। इससे इतर प्रशान्त किशोर अपनी संवाद अदायगी और तथ्यपूर्ण वार्तालाप से दोनों के लिए सरदर्द बने हुए हैं। इतना तो तय है कि इस बार इसी तीन मोर्चे के बीच संघर्ष दिखेगा। अगर हम वोट प्रतिशत की बात करें तो राजनीतिक विश्लेषकों के द्वारा ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि एनडीए कुल वोट का 41 से 42% लाने में सफल होगी, वहीं महागठबंधन का आंकडा 37 से 38% के आसपास ही रहेगा। जनसुराज भी दोहरे अंको तक मत लाने में जरूर सफल रहेगी। बात अगर सीट की करें, तो सबसे अधिक फायदे में चिराग रहेंगे। जद यू को सीटों का नुकसान उठाना पड सकता है। चुनावी चर्चा है कि एनडीए को वर्तमान विधायकों के खिलाफ एन्टी इनकम्बेन्सी फेक्टर होने से कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। ऐसी स्थिति में तकरीबन 25 से 30 विधायकों का टिकट काटने से अंतर को कम किया जा सकता है।
तेजस्वी की लोकप्रियता में इजाफा होने से महागठबंधन होगी लाभान्वित
महागठबंधन की बात करें तो अगर सीट का वितरण सही तरीके से किया जाएगा तो यह इस गठबंधन के लिए सही कदम साबित होगा। महागठबंधन को तेजप्रताप नुकसान पहुंचाएंगे, वहीं कोशी क्षेत्र में ओवैसी फैक्टर कम होने से कुछ सीटों का फायदा जरूर हो सकता है। राहुल गांधी व तेजस्वी की यात्रा से माहौल तो बना जरूर है लेकिन इस माहौल को वोट में बदलना चुनौती है। हालांकि, युवाओं के बीच तेजस्वी की लोकप्रियता बढी है। बात जनसुराज की करें तो टिकट वितरण के बाद पार्टी में भगदड मच सकती है। ऐसी स्थिति में प्रशान्त के नेतृत्व कौशल की परीक्षा होगी। अब आते हैं बेगूसराय की सियासत पर। बेगूसराय राजनीतिक रूप से एक संवेदनशील जिला है। बौद्धिक रूप से उर्वर यह जिला हमेशा से ही अपना अलग चुनावी इतिहास लिखता रहा है। सन् 1991 के लोकसभा चुनाव में भी अविभाजित बिहार में कांग्रेस को इकलौती सीट बेगूसराय से ही मिली थी। वहीं 2020 के विधानसभा चुनाव में भी लोजपा को इकलौती सीट मटिहानी से प्राप्त हुई थी। वहीं भाकपा भी बेगूसराय में दो सीट जीतकर अपनी धमक दिखाई थी।
बछवाड़ा और तेघड़ा में भी रोचक होगा मुकाबला
बात करें 2025 की तो, बछवाडा में महागठबंधन में ही सिर फुटौव्वल है। इसी संघर्ष में पिछली बार सुरेन्द्र मेहता तकरीबन 400 वोट से जीते थे। इस बार भी त्रिकोणीय संघर्ष होने पर भाजपा का पलड़ा भारी रहेगा, लेकिन समझौते में कांग्रेस के पास सीट रही और भाकपा इन्तजार कर ले तो फिर भाजपा के लिए जीतना टेढी खीर साबित होगी। क्षेत्र में चुनावी चर्चा आम है कि तेघडा में स्थानीय भाकपा विधायक से लोगों में नाराजगी है लेकिन महागठबंधन का अटूट वोट उनको बढत दिलाता है। वहीं तेघड़ा में जनसुराज की भी जोर शोर से चर्चा हो रही है। जदयू की ओर से कोई पिछडी जाति से स्थानीय उम्मीदवार आते हैं, तो मुकाबला रोचक हो सकता है।
हॉट सीट बन गया है मटिहानी विधानसभा
बात मटिहानी की करें तो पूर्व विधायक बोगो सिंह कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिसका लाभ उन्हें मिल सकता है। विधायक राजकुमार सिंह की आम जन के बीच उपलब्धता कम होने से थोडी नाराजगी है लेकिन उनके विकास कार्य उनको संघर्ष में खडा करती है। महागठबंधन, फिलहाल उहापोह की स्थिति में है लेकिन पिछले प्राप्त मत से उनके जोश भी मजबूत नजर आ रहे हैं। जनसुराज की चुनावी चर्चा हो रही है लेकिन उनके लिए फतह हासिल करना फिलहाल दिल्ली दूर है। बेगूसराय विधानसभा में भाजपा के विधायक कुन्दन सिंह हैं। शहरी मतदाताओ की अधिकता व वैश्य मतदाताओ की बहुलता उन्हें मजबूत बनाती है। अमिता भूषण की कम सक्रियता, महागठबंधन को मुश्किल में खडा कर रही है। महागठबंधन यहां से पिछडी जाति के सशक्त उम्मीदवार को टिकट दे तो मुकाबला नजदीकी हो सकता है।
साहेबपुरकमाल में आनंद की स्थिति में हैं ललन यादव उर्फ सत्तानंद
चेरियाबरियारपुर, एक समाजवादी सीट रही है। राजवंशी बाबू पिछली बार जीते थे। इस बार उनके खिलाफ नाराजगी है। ऐसी स्थिति में महागठबंधन को अपना उम्मीदवार बदलना उचित रहेगा। वही स्थिति एनडीए की है। मंजू वर्मा के बदले किसी दूसरे उम्मीदवार को टिकट देना एनडीए को फायदा पहुंचा सकता है। जनसुराज से पोलो जी की उम्मीदवारी मुकाबले को त्रिकोणीय बना सकती है। साहेबपुर कमाल में राजद का बोलबाला रहा है। इलाके में चुनावी चर्चा है कि फिलहाल ललन यादव उर्फ सत्तानंद की स्थिति में हैं। एनडीए अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए विवेक या अमर पर दांव खेलना चाहेगी। लेकिन एनडीए किसी अल्पसंख्यक को उम्मीदवार बनाए, तो संघर्ष सांसो को रोकने वाला होगा। बखरी में भाकपा के सूर्यकान्त पासवान फिलहाल सुरक्षित हैं। विपक्षी अपने उम्मीदवार को ही तलाश रही है। बखरी भाजपा जिला अध्यक्ष का विधानसभा क्षेत्र है, लेकिन उम्मीदवार की अनिश्चितता से मैदान सजी नहीं है।
Begusarai Locals
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